भीलवाड़ा से मात्र 11 किमी दूर मांडल कस्बे के पास स्थित मांडल तालाब राजस्थान का सबसे बड़ा तालाब है। इसका तटबंध 1.5 किमी लंबा और 50 मीटर चौड़ा है। अब इस तालाब के लिए बांध बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मांडल विधायक उदयलाल भंडाना ने जिला परिषद की बैठक में इसका प्रस्ताव रखा। इस पर सभी ने सहमति जताई है। विधायक भंडाना ने बताया कि मांडल तालाब का इतिहास मुगल बादशाह शाहजहां से जुड़ा है, जो 1614 में मेवाड़ के राजा अमरसिंह से संधि करने के बाद दिल्ली लौटते समय यहां रुके थे। मांडल तालाब भीलवाड़ा जिले का महत्वपूर्ण जलस्रोत है, जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।
प्रदेश का सबसे बड़ा तालाब
14वीं शताब्दी के बाद विक्रम संवत 1133 में अजयपाल के वंश में मांडोजी का जन्म हुआ। मेवाड़ भ्रमण के दौरान उन्होंने भगवान शंकर के स्थान के दर्शन किए और पास में बहते नाले को देखकर रात्रि विश्राम किया। किवदंती है कि भगवान शंकर ने मांडोजी के स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि यही वह स्थान है जिसके लिए तुम यहां आए हो। यहां एक जलाशय का निर्माण करवाओ। भगवान के आशीर्वाद से भूत सेना ने एक रात में यहां जलाशय का निर्माण करवाया। कहा जाता है कि एक महिला ने तड़के चक्की चला दी। इस कारण जलाशय का कुछ काम अधूरा रह गया।
55 साल में सिर्फ दो बार हुआ ओवरफ्लो
14 फीट भराव क्षमता वाले इस तालाब पर 1.5 किमी लंबा और 50 मीटर चौड़ा बांध बना हुआ है। चौड़ा बांध होने के कारण यह सुरक्षित है। करीब 6 किमी क्षेत्र में फैला तालाब हर साल पांच गांवों की 6 हजार बीघा जमीन की सिंचाई करता है। यह 55 साल में दो बार वर्ष 1973 और 2006 में ओवरफ्लो हो चुका है। कुल भराव क्षमता 490 एमसीएफटी है।
तालाब में तीन नहरें हैं
तालाब 4132 बीघा 6 बिस्वा में फैला हुआ है। तीन किलोमीटर की परिधि में फैले तालाब का सिंचित क्षेत्र 1500 हेक्टेयर है। इसमें से 1300 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र और 200 हेक्टेयर नॉन कमांड क्षेत्र है। 2700 बीघा डूब क्षेत्र वाले इस तालाब में 2155 बीघा बिलानाम की जमीन और 545 बीघा वन विभाग की जमीन है। तालाब में तीन नहरें हैं। इस तालाब से करीब 4500 बीघा जमीन की सिंचाई होती है।
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