नहर बंदी के बाद जैसे ही गंगनहर में जलापूर्ति शुरू हुई तो नहर में काला, जहरीला और केमिकल युक्त पानी बहता नजर आया। यह नजारा स्थानीय किसानों और निवासियों के लिए चौंकाने वाला था। आशंका है कि यह प्रदूषित पानी पंजाब की औद्योगिक इकाइयों से बहकर आया है।
कृषि और पेयजल पर संकट
गंगनहर का पानी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के कई जिलों में सिंचाई और पेयजल का मुख्य स्रोत है। जहरीले पानी की आपूर्ति से गेहूं, गन्ना और सब्जियों जैसी फसलों पर असर पड़ सकता है। साथ ही यह पानी मेरठ, नोएडा और दिल्ली जैसे शहरों की पेयजल व्यवस्था को भी दूषित कर सकता है।
स्वास्थ्य पर भारी असर
विशेषज्ञों का मानना है कि केमिकल युक्त इस पानी की वजह से लोगों में कैंसर, त्वचा रोग और पाचन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं। यह समस्या न केवल कृषि के लिए गंभीर है, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर है।
पारिस्थितिकी तंत्र को भी खतरा
यह जहरीला पानी गंगनहर में मौजूद मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए जानलेवा है। इससे न केवल उनकी जान को खतरा होगा, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बिगड़ सकता है।
प्रशासन ने जांच शुरू की
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने पानी के नमूनों की जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात कर दी है। वहीं, किसानों और स्थानीय लोगों ने पंजाब सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदूषण के स्रोतों को बंद करने और गंग नहर को साफ रखने की मांग की है।
समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो संकट और बढ़ जाएगा
अगर इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया तो इस जल संकट का क्षेत्र की अर्थव्यवस्था, कृषि और नागरिकों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है।
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