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सीएम रेखा गुप्ता ने किया 500 किलोवाट के सोलर पावर प्लांट का शिलान्यास , पूरी तरह से सोलर एनर्जी से चलेगी दिल्ली विधानसभा

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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में एक के बाद एक नई-नई योजनाओं की शुरुआत की जा रही है। अब दिल्ली विधानसभा ऐसी पहली विधानसभा बनने जा रही है जो पूरी तरह सोलर एनर्जी से चलेगी। सरकार ने सोमवार को 500 किलोवाट के सोलर पावर प्लांट की आधारशिला रखी । इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ ही दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता भी मौजूद थे। सीएम रेखा गुप्ता ने बयान जारी करके इस परियोजना की जानकारी दी। सोलर एनर्जी पर चलेगी दिल्ली विधानसभा दिल्ली विधानसभा देश की ऐसी पहली विधानसभा बन गई है जहां 500 किलो सोलर पावर प्लांट की परियोजना की आधारशिला रखी गई है। सीएम रेखा गुप्ता के बयान के अनुसार केवल 45 दिनों में इस सोलर पावर परियोजना का काम पूरा हो जाएगा। काम पूरा होने के बाद दिल्ली विधानसभा पूरी तरह सोलर एनर्जी से चलेगी। इससे दिल्ली सरकार हर महीने 15 लाख रुपये तक बचाएगी। सोलर पावर नेटवर्क बनेगा दिल्लीसीएम रेखा गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार रोजाना नई योजनाएं लेकर आ रही है। जिन पर काम जारी है। इस 500 किलोवाट के सोलर पावर प्लांट के नींव रखने के साथ ही दिल्ली सरकार का लक्ष्य राजधानी को सोलर पावर नेटवर्क बनाना है। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली की हर बिल्डिंग चाहे वह सरकारी हो या निजी, के ऊपर सोलर पावर प्लांट लगाना हमारा उद्देश्य है। इससे दिल्ली को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहला कदम है। यदि हर बिल्डिंग पर सोलर प्लांट लगाया गया तो उससे इतनी ऊर्जा मिलेगी, जिससे कि हर घर की बिजली की जरूरत है पूरी हो जाएगी। मुख्यमंत्री का कहना है कि सोलर पावर प्लांट लगाने के बाद आप अपने घर पर जितनी चाहे उतनी बिजली का इस्तेमाल कर सकते हैं और बची हुई बिजली को सरकार को वापस बेच सकते हैं। दिल्ली में तेजी से बढ़ रही बिजली की खपतमुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि दिल्ली में बिजली की खपत में रोजाना वृद्धि हो रही है। इसलिए सोलर प्लांट पावर प्लांट लगाने का यह कदम महत्वपूर्ण है। यदि हर घर में सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा तो इसे ग्रीन और क्लीन दिल्ली का सपना पूरा होगा। यदि यह परियोजना सफल होती है तो दिल्ली में फ्री बिजली देने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। सभी लोग खुद बिजली बनाएंगे और जितना चाहे उतना इस्तेमाल करेंगे। बची हुई बिजली सरकार को बेचकर कमाई भी कर पाएंगे। अभी दिल्ली में 9000 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है।
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