भारतीय शेयर बाज़ारों में तेज़ी का दौर चल रहा है और इस तेज़ी में बाज़ार के घरेलू कारक हावी हैं. भारत और अमेरिका की संभावित ट्रेड डील के प्रभाव में गुरुवार को भारतीय बाज़ार तेज़ी में खुले और निफ्टी ने 26000 के लेवल के ऊपर जाकर कारोबार किया. सेंसेक्स में भी तेज़ी रही और उसने 85290 का डे हाई लगाया. पिछले कुछ माह से भारतीय बाज़ार में जो तेज़ी आई है, वह बिना विदेशी निवेशकों याने एफआईआई की खरीदारी के आई है. इस दौरान एफआईआई ने बड़े पैमाने पर बिकवाली की जिसे म्यूचुअल फंड्स को आगे रखकर डीआईआई ने एब्सोर्ब किया है. आईटी सेक्टर के लार्जकैप स्टॉक की सारी एफआईआई बिकवाली को डीआईआई ने एब्सोर्ब किया. बाज़ार बढ़त में है तो फिलहाल डीआईआई रेस में आगे है.
आईटी सेक्टर में म्यूचुअल फंड हाउस का कॉन्ट्रा बेटएआई स्टॉक की तलाश में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक तरफा बिकवाली की. इस सेलिंग पर भारत के म्यूचुअल फंड हाउस ने कॉन्ट्रा बैट किया और बाइंग की. सितंबर तिमाही में एफआईआई ने इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा सहित प्रमुख 10 आईटी स्टॉक में से आठ में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी. हालांकि डोमेस्टिक फंड मैनेजर ने लगभग सभी आईटी स्टॉक शेयरों को खरीदा.
एफआईआई ने पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में अपनी हिस्सेदारी 2.95 प्रतिशत अंक घटाकर 21.24% कर दी, जबकि म्यूचुअल फंड ने अपनी हिस्सेदारी 1.38 अंक बढ़ाकर 23.71% कर दी. टेक महिंद्रा में एफआईआई की हिस्सेदारी 2.68 अंक घटकर 20.60% रह गई, जबकि म्यूचुअल फंड स्वामित्व 1.05 अंक बढ़कर 17.56% हो गया.
कोफोर्ज में एफआईआई की सबसे तेज बिकवाली देखी गई, जिसमें हिस्सेदारी 2.79 प्रतिशत अंक घटकर 37.42% रह गई, जबकि म्यूचुअल फंड ने जून 2025 को समाप्त तिमाही के दौरान अपनी हिस्सेदारी लगभग एक अंक बढ़ाकर 37.90% कर ली.
एफआईआई ने दिग्गज इंफोसिस में अपनी हिस्सेदारी 1.84 प्रतिशत अंक घटाकर 30.08% कर दी, जबकि म्यूचुअल फंड ने 1.87 अंक बढ़ाकर 22.73% कर दी. यह लगभग वैसा ही कदम है. भारत की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी टीसीएस में एफआईआई की हिस्सेदारी 1.15 अंक घटकर 10.33% रह गई, जबकि म्यूचुअल फंडों ने अपनी हिस्सेदारी 0.46 अंक बढ़ाकर 5.59% कर दी.
एचसीएल टेक्नोलॉजीज में एफआईआई की हिस्सेदारी 1.92 प्रतिशत अंकों की गिरावट के साथ 16.64% पर आ गई. कोफोर्ज के बाद दूसरी सबसे बड़ी कमी, जबकि म्यूचुअल फंड्स 0.76 अंक बढ़कर 9.20% पर पहुंच गए. यहां तक कि एमफैसिस में भी जहां बदलाव कम थे.
एफआईआई का पैटर्न कायम एफआईआई ने हिस्सेदारी 0.47 अंक घटाकर 18.52% कर दी, जबकि म्यूचुअल फंड्स 0.13 अंक बढ़कर 24.41% पर पहुंच गए. म्यूचुअल फंड खरीदारी के रुझान का एकमात्र अपवाद एलटीआईमाइंडट्री रहा, जहां घरेलू फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी 0.27 प्रतिशत अंकों की कटौती करके 5.11% कर दी, जबकि एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी 0.22 अंकों की मामूली कटौती करके 6.40% कर दी.
विप्रो में मामूली एफआईआई खरीदारी देखी गई, जहां हिस्सेदारी 0.29 अंक बढ़कर 8.45% हो गई ओरेकल फाइनेंशियल सर्विसेज सॉफ्टवेयर एकमात्र ऐसा स्टॉक था, जहां एफआईआई ने निवेश बढ़ाया जो 0.11 अंक बढ़कर 8.66% हो गया. साथ ही म्यूचुअल फंड ने अपनी हिस्सेदारी 0.12 अंक बढ़ाकर 5.69% कर दी.
म्यूचुअल फंड की खरीदारी का दौर बडी बिकवाली के बीच आया है. इस कैलेंडर वर्ष में अब तक एचसीएल टेक, इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो कम से कम 20% की गिराव में हैं. आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस के शेयर अपने हाई लेवल से 33% गिर चुके हैं.
आईटी सेक्टर में म्यूचुअल फंड हाउस का कॉन्ट्रा बेटएआई स्टॉक की तलाश में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक तरफा बिकवाली की. इस सेलिंग पर भारत के म्यूचुअल फंड हाउस ने कॉन्ट्रा बैट किया और बाइंग की. सितंबर तिमाही में एफआईआई ने इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा सहित प्रमुख 10 आईटी स्टॉक में से आठ में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी. हालांकि डोमेस्टिक फंड मैनेजर ने लगभग सभी आईटी स्टॉक शेयरों को खरीदा.
एफआईआई ने पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में अपनी हिस्सेदारी 2.95 प्रतिशत अंक घटाकर 21.24% कर दी, जबकि म्यूचुअल फंड ने अपनी हिस्सेदारी 1.38 अंक बढ़ाकर 23.71% कर दी. टेक महिंद्रा में एफआईआई की हिस्सेदारी 2.68 अंक घटकर 20.60% रह गई, जबकि म्यूचुअल फंड स्वामित्व 1.05 अंक बढ़कर 17.56% हो गया.
कोफोर्ज में एफआईआई की सबसे तेज बिकवाली देखी गई, जिसमें हिस्सेदारी 2.79 प्रतिशत अंक घटकर 37.42% रह गई, जबकि म्यूचुअल फंड ने जून 2025 को समाप्त तिमाही के दौरान अपनी हिस्सेदारी लगभग एक अंक बढ़ाकर 37.90% कर ली.
एफआईआई ने दिग्गज इंफोसिस में अपनी हिस्सेदारी 1.84 प्रतिशत अंक घटाकर 30.08% कर दी, जबकि म्यूचुअल फंड ने 1.87 अंक बढ़ाकर 22.73% कर दी. यह लगभग वैसा ही कदम है. भारत की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी टीसीएस में एफआईआई की हिस्सेदारी 1.15 अंक घटकर 10.33% रह गई, जबकि म्यूचुअल फंडों ने अपनी हिस्सेदारी 0.46 अंक बढ़ाकर 5.59% कर दी.
एचसीएल टेक्नोलॉजीज में एफआईआई की हिस्सेदारी 1.92 प्रतिशत अंकों की गिरावट के साथ 16.64% पर आ गई. कोफोर्ज के बाद दूसरी सबसे बड़ी कमी, जबकि म्यूचुअल फंड्स 0.76 अंक बढ़कर 9.20% पर पहुंच गए. यहां तक कि एमफैसिस में भी जहां बदलाव कम थे.
एफआईआई का पैटर्न कायम एफआईआई ने हिस्सेदारी 0.47 अंक घटाकर 18.52% कर दी, जबकि म्यूचुअल फंड्स 0.13 अंक बढ़कर 24.41% पर पहुंच गए. म्यूचुअल फंड खरीदारी के रुझान का एकमात्र अपवाद एलटीआईमाइंडट्री रहा, जहां घरेलू फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी 0.27 प्रतिशत अंकों की कटौती करके 5.11% कर दी, जबकि एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी 0.22 अंकों की मामूली कटौती करके 6.40% कर दी.
विप्रो में मामूली एफआईआई खरीदारी देखी गई, जहां हिस्सेदारी 0.29 अंक बढ़कर 8.45% हो गई ओरेकल फाइनेंशियल सर्विसेज सॉफ्टवेयर एकमात्र ऐसा स्टॉक था, जहां एफआईआई ने निवेश बढ़ाया जो 0.11 अंक बढ़कर 8.66% हो गया. साथ ही म्यूचुअल फंड ने अपनी हिस्सेदारी 0.12 अंक बढ़ाकर 5.69% कर दी.
म्यूचुअल फंड की खरीदारी का दौर बडी बिकवाली के बीच आया है. इस कैलेंडर वर्ष में अब तक एचसीएल टेक, इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो कम से कम 20% की गिराव में हैं. आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस के शेयर अपने हाई लेवल से 33% गिर चुके हैं.
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