हिंदी सिनेमा में 'मुगल-ए-आजम' और 'शोले' जैसी कई फिल्में हैं, जो अपने अद्वितीय योगदान के लिए जानी जाती हैं। आज हम एक ऐसी फिल्म की चर्चा करेंगे, जिसे हिंदी सिनेमा की बेहतरीन कृतियों में से एक माना जाता है और इसे एक कल्ट क्लासिक के रूप में पहचान मिली है। यह फिल्म, 'पाकीजा', एक तवायफ की दिल को छू लेने वाली कहानी है, जिसमें लता मंगेशकर के मधुर गीतों ने चार चांद लगा दिए। जब यह फिल्म पहली बार सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई, तो शुरुआत में इसे ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन बाद में दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस फिल्म में मीना कुमारी और राज कुमार ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं।
फिल्म का प्रारंभिक सफर
'चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो...' और 'चलते चलते' जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। फिल्म की शुरुआत में इसे ब्लैक एंड व्हाइट में बनाया गया था। लेकिन, जब फिल्म की शूटिंग में देरी हुई और रंगीन सिनेमा का दौर शुरू हुआ, तो निर्देशक ने पहले के ब्लैक एंड व्हाइट हिस्सों को हटाकर फिल्म को फिर से शूट करने का निर्णय लिया। इसके बाद, सिनेमास्कोप तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे फिल्म की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
निर्माण में लगे 14 साल
फिल्म के निर्माण में देरी का कारण केवल तकनीकी बदलाव नहीं थे। मीना कुमारी, जो फिल्म की मुख्य अभिनेत्री थीं, अपने पति कमाल अमरोही से अलग हो गईं, जो फिल्म के निर्देशक भी थे। इस स्थिति ने फिल्म की प्रगति को प्रभावित किया। 1968 में फिल्म की शूटिंग फिर से शुरू हुई, लेकिन मीना कुमारी की स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ने लगीं, जिससे फिल्म के निर्माण में 14 साल लग गए।
मीना कुमारी की स्वास्थ्य समस्याएं
1968 में जब फिल्म की शूटिंग फिर से शुरू हुई, तब मीना कुमारी की सेहत बिगड़ने लगी। उन्हें शराब की लत लग गई थी, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो गई। कमाल अमरोही ने इस बात पर जोर दिया कि फिल्म मीना कुमारी के साथ ही पूरी होगी। लेकिन जब 'चलो दिलदार चलो...' का गाना फिल्माने का समय आया, तब मीना कुमारी की हालत और बिगड़ गई, जिसके कारण गाना पद्मा खन्ना के साथ फिल्माया गया।
1972 में रिलीज हुई पाकीजा
कमाल अमरोही, जो मीना कुमारी के पति भी थे, ने इस फिल्म का निर्देशन किया। हालांकि, उनके बीच का रिश्ता उस समय ठीक नहीं था, जो मीना कुमारी की शराब की लत के कारण और बिगड़ गया। अंततः, फिल्म 1972 में रिलीज हुई। शुरुआत में इसे दर्शकों से ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन मीना कुमारी के निधन के बाद, उनके प्रशंसकों की भीड़ सिनेमाघरों में उमड़ पड़ी।
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