New Delhi, 31 अक्टूबर . मीठा खाने का मन करता है तो लोग हेल्दी ऑप्शन के तौर पर पान का चुनाव करते हैं. पान के पत्ते का इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी किया जाता है. पान खाने में तो स्वाद से भरपूर होता ही है, लेकिन पान के पत्तों में कई औषधीय गुण होते हैं, जो कई शारीरिक समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं.
पान के पत्ते की तासीर ठंडी होती है और यह एसिडिटी या ब्लोटिंग, डाइजेशन, दातों की समस्या और मुंह से आने वाली दुर्गंध में राहत देता है. पान के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट, सूजन-रोधी, दर्द निवारक और रोगाणुरोधी गुण के साथ विटामिन सी, राइबोफ्लेविन और कैरोटीन होते हैं. ये पेट से जुड़े रोगों से लेकर त्वचा को निखारने में भी मदद करते हैं.
अगर दांतों में दर्द की समस्या, खून आना और पायरिया जैसी समस्या है, तो पान का पत्ता बहुत लाभकारी है. पान के पत्तों में विटामिन सी होता है और अपनी एक खूशबू भी होती है. अगर सुबह खाली पेट पान के पत्ते को चबाकर खाया जाए तो मसूड़े मजबूत होते हैं और दांतों पर लगा पीलापन भी कम होता है.
पान के पत्ते की अपनी खूशबू होती है, जो मुंह से निकलने वाली दुर्गंध को कम करती है.
अगर पेट में भारीपन और पाचन की समस्या रहती है, तो पान का पत्ता लाभकारी होता है. पान के पत्ते के सेवन से पाचन तंत्र मजबूत रहता है और पेट ठंडा भी रहता है और एसिडिटी की दिक्कत भी कम होती है. पान के पत्ते का इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही नहीं बल्कि इसे लगाकर भी इसका लाभ पाया जा सकता है.
अगर सर्दी-जुकाम की परेशानी हो रही है और छाती में कफ जमा है, तो पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जा सकता है. पान के पत्ते को घी में सेक कर रात के समय छाती पर लगाने से सर्दी से आराम मिलता है. ये आयुर्वेदिक उपाय बच्चों के लिए किया जा सकता है. पान का पत्ता मानसिक तनाव को भी कम करने में मदद करता है. पान के पत्ते चबाने से तंत्रिका तंत्र को आराम मिलता है, मूड अच्छा होता है, और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है.
पान का पत्ता हृदय रोगों के जोखिम को भी कम करता है, क्योंकि ये हाई बीपी, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है, जिससे दिल से जुड़े रोग कम होते हैं.
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पीएस/एबीएम
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