उदयपुर, 16 सितंबर । हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, जो भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड जिंक उत्पादक कंपनी है, ने इंटरनेशनल काउंसिल ऑन माइनिंग एंड मेटल्स (ICMM) के प्रेसिडेंट और सीईओ रोहितेश धवन की राजस्थान स्थित अपनी प्रमुख सिंदेसर खुर्द खदान में मेजबानी की। यह दौरा कंपनी के आईसीएमएम में शामिल होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने के तुरंत बाद हुआ। यह उपलब्धि न केवल कंपनी बल्कि भारत के खनन क्षेत्र के लिए वैश्विक स्तर पर सस्टेनेबिलिटी और नवाचार के क्षेत्र में एक अहम कदम है।
इस दौरान हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा और वरिष्ठ नेतृत्व टीम भी मौजूद रहे। रोहितेश धवन ने सिंदेसर खुर्द खदान का दौरा किया, जो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक खदान है। उन्होंने कंपनी के विश्व स्तरीय परिचालन को करीब से देखा, जिसमें तकनीकी नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और ईएसजी नेतृत्व प्रमुख हैं। चर्चा का केंद्र वैश्विक सहयोग को मजबूत करना, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करना और दक्षिण एशिया में जिम्मेदार खनन को बढ़ावा देना रहा।
रोहितेश धवन ने कहा, “यह देखकर खुशी हुई कि हिंदुस्तान जिंक ने आधुनिक टेक्नोलॉजी को ईएसजी, पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ जोड़ा है। एक हरित भविष्य की राह भारत से होकर जाती है, जहां के खनिज और धातु वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहां मैंने सस्टेनेबिलिटी और जिम्मेदार खनन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता देखी, जो बेहद प्रेरणादायक है।”
हिंदुस्तान जिंक अपनी Sustainability 2.0 कार्ययोजना को तेजी से आगे बढ़ा रहा है, जिसका लक्ष्य 2050 या उससे पहले नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करना है। वर्ष 2024 में कंपनी को लगातार दूसरे साल S&P Global Corporate Sustainability Assessment द्वारा दुनिया की सबसे सस्टेनेबल मेटल्स और माइनिंग कंपनी का दर्जा मिला। यह एसबीटीआई-सत्यापित 1.5°C-अनुकूल लक्ष्य रखने वाली पहली भारतीय धातु एवं खनन कंपनी भी बनी।
वित्तीय वर्ष 2025 में कंपनी ने अपने ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन की तीव्रता को 2020 के आधार वर्ष की तुलना में 15% घटाया, जबकि उत्पादन में निरंतर वृद्धि दर्ज की। यह उपलब्धियां हिंदुस्तान जिंक के उस संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, जिसमें पर्यावरण जिम्मेदारी, तकनीकी नवाचार और हितधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सृजन प्राथमिकता में है।
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