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भारत की एकता के शिल्पकार सरदार पटेल, पीएम मोदी के शब्दों में लौह पुरुष की गाथा

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New Delhi, 31 अक्टूबर . सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर Prime Minister Narendra Modi के पुराने वक्तव्यों को फिर से साझा करते हुए मोदी आर्काइव ने India के लौह पुरुष की अदम्य गाथा को याद किया. पीएम मोदी ने अलग-अलग मौकों पर सरदार पटेल के व्यक्तित्व, उनके योगदान और India की एकता में निभाई गई उनकी निर्णायक भूमिका पर विस्तार से बात की.

31 अक्टूबर 2012 को सरदार साहब की जयंती पर Prime Minister मोदी ने कहा था, “सरदार साहब की जयंती पर पूरा देश उनको नमन करता है. वे India की एकता और अखंडता के प्रतीक रहे हैं. जब भी देश की एकता पर संकट मंडराता है तो हर भारतीय के दिल से एक ही आवाज उठती है कि आज अगर सरदार साहब होते तो…. यही उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है.”

28 नवंबर 2016 को Prime Minister ने एकता के इस सूत्र को बेहद सहज तरीके से समझाते हुए कहा था, “हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चलती है, जो हिमालय की गोद से निकलकर सागर के किनारे तक पहुंचती है. इस सफर में कई राज्य आते हैं, पर हमें न किसी राज्य का परमिट चाहिए, न वीजा, न टैक्स देना पड़ता है. यह सब संभव हुआ सरदार पटेल के कारण, जिन्होंने इस अखंड India की नींव रखी.”

1 नवंबर 2019 को Prime Minister मोदी ने कहा था कि सरदार पटेल ने यह दिखाया कि सामान्य जन के जीवन में बदलाव के लिए बुलंद इच्छा शक्ति कितनी जरूरी है. उन्होंने याद किया कि Ahmedabad नगरपालिका में रहते हुए पटेल ने सीमित संसाधनों में ही शहर को पूरी तरह बदल दिया था. यही वह विजन था जिससे आजाद India की सिविल सेवा की रूपरेखा बनी.

Prime Minister ने सरदार पटेल की संगठन क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि सरदार पटेल में लोगों को एकजुट करने की अद्भुत शक्ति थी. वे उन लोगों से भी तालमेल बैठा लेते थे जिनसे वैचारिक मतभेद होते थे. वे ‘मैन ऑफ डिटेल’ थे, जो हर बारीकी को समझते थे.”

उन्होंने कहा था कि सरदार पटेल का योगदान केवल देश के एकीकरण तक सीमित नहीं था. उन्होंने लक्षद्वीप जैसे छोटे द्वीप समूह को भी India का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाई. 1947 में जब पड़ोसी देश ने लक्षद्वीप पर झंडा फहराने की कोशिश की, सरदार साहब ने तुरंत कार्रवाई कर वहां तिरंगा लहराया और India की संप्रभुता को सुरक्षित किया.

30 अक्टूबर 2013 को पीएम मोदी ने कहा था कि 1919 में सरदार पटेल Ahmedabad नगरपालिका के काउंसलर थे और उसी समय उन्होंने महिला आरक्षण का प्रस्ताव पारित कराया था, जो उस युग में भी उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को दिखाता है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्बन प्लानिंग का कॉन्सेप्ट सबसे पहले सरदार पटेल ने ही विकसित किया था.

पीएम मोदी ने कहा था कि हर किसान आंदोलन को गांव-गांव तक पहुंचाने में सरदार पटेल की बड़ी भूमिका थी. उनके संगठन कौशल का ही परिणाम है कि अमूल जैसी सहकारी संस्थाएं अस्तित्व में आईं. उन्होंने याद दिलाया कि 1942 में सरदार पटेल ने कोऑपरेटिव मिल्क यूनियन का विचार दिया था, जो बाद में India की ‘श्वेत क्रांति’ की नींव बनी.

पीएम मोदी ने सरदार पटेल के व्यक्तित्व के मानवीय पहलू को भी याद किया. उन्होंने कहा, “सरदार पटेल का सेंस ऑफ ह्यूमर अद्भुत था. गांधी जी कहा करते थे कि सरदार की बातें इतनी हंसाती थीं कि पेट में बल पड़ जाते थे. इससे हमें यह सीख मिलती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें अपने हास्यबोध को जिंदा रखना चाहिए.”

उन्होंने एक ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि 27 जनवरी 1947 को टाइम मैगजीन ने अपने कवर पेज पर सरदार पटेल की तस्वीर प्रकाशित की थी. उस अंक में India का जो नक्शा दिखाया गया था, वह आज के नक्शे जैसा नहीं था, तब देश में 550 से अधिक देशी रियासतें थीं. अंग्रेज India छोड़ना चाहते थे, लेकिन उसे टुकड़ों में बांटने की साजिश रच रहे थे. उस कठिन दौर में सरदार पटेल ने अपने साहस और नीति-कौशल से इन रियासतों को एक सूत्र में पिरोया.

31 अक्टूबर 2019 को सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “कभी सरदार पटेल ने कहा था, अगर कश्मीर का मसला उनके पास होता, तो उसे सुलझाने में इतनी देर नहीं होती. वे चेतावनी देकर गए थे कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण एकीकरण ही इसका समाधान है. आज उनके जन्मदिवस पर मैं अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय को सरदार साहब को समर्पित करता हूं.’

वीकेयू/डीकेपी

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