New Delhi, 16 अक्टूबर . भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य आयुक्तों को एक नया निर्देश जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी खाद्य उत्पाद (चाहे वह फ्रूट-बेस्ड, नॉन-कार्बोनेटेड या रेडी-टू-ड्रिंक बेवरेज हो) के नाम या ब्रांड में ओआरएस शब्द का प्रयोग अब पूरी तरह निषिद्ध है.
एफएसएसएआई ने जारी आदेश में कहा कि यह आदेश पहले के दो आदेशों (14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024) को सुपरसिड करता है, यानी अब वे आदेश रद्द माने जाएंगे.
पहले इन आदेशों के तहत कुछ कंपनियों को ब्रांड नाम में ‘ओआरएस’ शब्द का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, बशर्ते वे अपने लेबल पर यह चेतावनी दें कि यह उत्पाद डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित ओआरएस फॉर्मूला नहीं है.
लेकिन अब एफएसएसएआई ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी खाद्य उत्पाद के नाम, ब्रांड या लेबल पर ‘ओआरएस’ शब्द का उपयोग (चाहे वह किसी प्रिफिक्स या सफिक्स के साथ ही क्यों न हो) खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 और उसके अंतर्गत बने नियमों का उल्लंघन है.
एफएसएसएआई ने कहा कि इस तरह के नाम या लेबल उपभोक्ताओं को भ्रामक, भेदक और गलत जानकारी देते हैं. ऐसे उत्पाद धारा 23 और 24, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006, उप-विनियमन 4(3) और 5(1), खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020, उप-विनियमन 4(1) और 4(13), खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम 2018 धाराओं का उल्लंघन करते हैं.
इन प्रावधानों के उल्लंघन पर उत्पाद को मिसब्रांडेड और मिसलीडिंग माना जाएगा, जिसके लिए धारा 52 और 53 के तहत सजा और जुर्माना का प्रावधान है.
एफएसएसएआई ने यह भी स्पष्ट किया कि 14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024 के आदेश तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाते हैं. साथ ही यह भी कहा गया कि 8 अप्रैल 2022 को जारी किया गया धारा 16(5) के तहत दिशानिर्देश ओआरएस के विकल्प उत्पाद के भ्रामक विज्ञापनों और मार्केटिंग संबंधी आदेश जारी रहेगा.
एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के आयुक्तों से कहा है कि वे इस आदेश को कड़ाई से लागू करें, ताकि उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों और गलत उत्पाद दावों से बचाया जा सके.
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वीकेयू/डीएससी
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