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यूपी : वाहन पंजीकरण प्रणाली में लापरवाही पर बड़ा कदम, 51 डीलरों और 28 सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों को नोटिस

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लखनऊ, 22 अप्रैल . योगी सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में वाहन पंजीकरण व्यवस्था को समयबद्ध, पारदर्शी और नागरिकों के अनुकूल बनाए रखने के लिए परिवहन विभाग नियमित डीलर प्वाइंट पंजीकरण प्रणाली की समीक्षा कर रहा है. जनवरी से मार्च 2025 के मध्य वाहन 4.0 पोर्टल पर दर्ज डाटा के विश्लेषण से निर्धारित प्रक्रिया का पालन न करने वालों पर कार्रवाई की गई.

जांच में पता चला कि कई डीलरों द्वारा बिना पंजीकरण वाहन स्वामियों को वाहन सुपुर्द किए गए, आवश्यक दस्तावेज अपूर्ण या अपठनीय रूप में पोर्टल पर अपलोड किए गए और विभागीय निर्देशों की अनदेखी की गई. इसके अतिरिक्त एआरटीओ कार्यालय स्तर पर फाइलों की उचित निगरानी नहीं की गई, जिसके कारण पंजीकरण फाइलें लंबित रहीं.

वहीं, वाहन स्वामी को समय से आरसी न उपलब्ध कराने पर चाबुक चलाया गया. बताया गया कि पंजीकरण से पूर्व ही वाहन की डिलीवरी, अपठनीय, अपूर्ण अथवा असंगत दस्तावेजों की बार-बार अपलोडिंग, विभाग द्वारा फाइल रिवर्ट करने के बावजूद सुधार न करना और वाहन स्वामी को समय से पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) उपलब्ध न कराने पर कार्रवाई की गई.

इन लापरवाहियों के आधार पर प्रदेश के 51 डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जिनमें राजधानी लखनऊ का एक प्रमुख डीलर भी शामिल है. सभी डीलरों से 14 दिवस के भीतर स्पष्ट व संतोषजनक उत्तर प्रस्तुत करने को कहा गया है, अन्यथा उनके ट्रेड सर्टिफिकेट के निलंबन अथवा निरस्तीकरण की विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.

इन प्रकरणों में संबंधित जिलों के परिवहन कार्यालयों की प्रशासनिक उदासीनता भी उजागर हुई है. कई स्थानों पर एआरटीओ स्तर पर पंजीकरण फाइलों की लंबितता, त्रुटिपूर्ण फाइलों की स्वीकृति अथवा अनुपालन की समीक्षा न करना सामने आया है. इस कारण विभाग द्वारा 28 सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.

परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा के अनुरूप विभाग का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को समयबद्ध और निर्बाध सेवा देना है. किसी भी स्तर पर लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषी व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

परिवहन आयुक्त ने स्पष्ट किया कि वाहन पंजीकरण से संबंधित सेवाएं आम नागरिकों से सीधे जुड़ी हैं और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न तो डीलर और न ही विभागीय स्तर पर स्वीकार्य होगी. विभागीय आदेशों के पालन में विफलता को गंभीरता से लेते हुए नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.

एसके/एबीएम

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