मद्दुर (मंड्या), 27 सितंबर . कर्नाटक के मंड्या जिले के मद्दुर शहर में 7 सितंबर को गणेश जुलूस के दौरान हुई सांप्रदायिक झड़प ने पूरे इलाके को हिला दिया. भाजपा की तथ्य-खोजी समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसे Governmentी लापरवाही और खुफिया विफलता का नतीजा बताया है. समिति का कहना है कि यह घटना मद्दुर के सद्भावपूर्ण इतिहास को हमेशा के लिए बदल देगी. रिपोर्ट में घटना के विवरण, जनसांख्यिकी और निष्कर्षों को विस्तार से बताया गया है.
बता दें कि 7 सितंबर को Sunday शाम करीब 7 बजे मद्दुर के आरआर नगर (राम रहीम नगर) के छठे चौराहे से गणपति जुलूस शुरू हुआ. यह जुलूस आरआर नगर की मुख्य सड़कों से गुजरते हुए मस्जिद के पास पहुंचा. गणेश उत्सव की परंपरा के तहत शाम 7:15 बजे जुलूस चला. जैसे ही जुलूस मस्जिद के पास पहुंचा, Police ने हस्तक्षेप किया. उन्होंने जुलूस में बज रहे तमते (ढोल) और नादस्वर (पारंपरिक वाद्य यंत्र) को बंद करने का आदेश दिया. Police का कहना था कि इससे उत्सव शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा. लेकिन जुलूस मस्जिद से आगे बढ़ते ही अचानक इलाके की स्ट्रीट लाइटें बंद हो गईं. इसके तुरंत बाद मस्जिद के आसपास की इमारतों से जुलूस पर पत्थर फेंके गए. श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी मच गई. हमलावरों को रोकने के बजाय Police ने जुलूस का नेतृत्व कर रहे हिंदू कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया. आखिरकार, भीड़ को तितर-बितर कर दिया गया. गणपति की मूर्ति को Police ने हिरासत में ले लिया और खुद ही उसका विसर्जन कर दिया.
इस घटना की खबर फैलते ही मद्दुर में आक्रोश फैल गया. हिंदू संगठनों ने अगली सुबह विरोध में सामूहिक गणपति विसर्जन का ऐलान किया. जिले के प्रभारी मंत्री चेलुवरायस्वामी ने बयान देकर तनाव बढ़ाया. उन्होंने भाजपा पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. इससे स्थानीय हिंदू युवाओं में गुस्सा भड़क उठा. हजारों लोगों ने बंद का समर्थन किया और सामूहिक विसर्जन में शामिल हुए.
अगले दिन मंत्री चेलुवरायस्वामी और मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं ने प्रेस बयान जारी कर स्वीकार किया कि हिंसा मुस्लिम युवाओं के एक वर्ग ने भड़काई थी. यह उनके पहले के बयानों का खंडन था और आधिकारिक विवरण में विसंगतियां उजागर करता है. भाजपा समिति के अनुसार, यह घटना स्थानीय तनाव का स्वतःस्फूर्त विस्फोट नहीं, बल्कि Governmentी निष्क्रियता का परिणाम है.
मद्दुर मंड्या जिले का एक ऐतिहासिक शहर है, जो Bengaluru-मैसूर राजमार्ग पर शिमशा नदी के किनारे बसा है. यह उपजाऊ खेतों, गन्ने की फसल और प्रसिद्ध मद्दुर वड़ा के लिए जाना जाता है. पुराने मैसूर राज्य का यह सांस्कृतिक केंद्र रहा है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मद्दुर की जनसंख्या लगभग 28,754 है. मंड्या जिले में 94-95 फीसद हिंदू आबादी है, जबकि मुस्लिम लगभग 4 फीसद हैं. मद्दुर शहर हिंदू बहुल है, लेकिन राम रहीम नगर में कुछ मुस्लिम आबादी है.
मीडिया और विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, मद्दुर में पहले कोई बड़ी सांप्रदायिक झड़प नहीं हुई थी. गणेश विसर्जन का अनुष्ठान तीन दशकों से शांतिपूर्ण तरीके से होता आया है. लेकिन, इस घटना ने इसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बना दिया. भाजपा समिति का कहना है कि कांग्रेस Government ने वोट-बैंक की राजनीति से सद्भाव को तोड़ा है.
भाजपा ने इस घटना की जांच के लिए तथ्य-खोजी समिति गठित की. समिति ने कर्नाटक Government के बयानों, विपक्ष की प्रतिक्रियाओं, Police रिपोर्टों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों की समीक्षा की. सदस्यों ने घटनास्थल का दौरा किया, पीड़ितों से बात की और उनके अनुभव सुने. पूर्व डीसीएम सी.एन. अश्वथ नारायण की अगुवाई वाली इस समिति में पूर्व एडीजीपी भास्कर राव, सी. मंजुला और अन्य शामिल हैं. रिपोर्ट स्थानीय और राष्ट्रीय प्रेस की विश्वसनीय रिपोर्टिंग पर आधारित है.
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एसएचके/डीएससी
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