K-STAR Visa For Indians : दुनियाभर में टैलेंटेड लोगों की डिमांड है और हर देश चाहता है कि वे उनके यहां आए। इसी कड़ी में दक्षिण कोरिया ने K-STAR वीजा ट्रैक लॉन्च किया है। इसका मकसद साइंस और टेक्नोलॉजी फील्ड में काम करने के लिए विदेशी वर्कर्स को देश में लाना है। न्याय मंत्रालय का कहना है कि देश में दिए जाने वाले इस वीजा का मकसद टॉप लेवल वाले विदेशी वर्कर्स के लिए इमिग्रेशन को आसान बनाना और इनोवेटिव इकोसिस्टम एंव ग्लोबल प्रतिस्पर्धा की तैयार करना है।
K-STAR वीजा के जरिए साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स ( STEM) के विदेशी एक्सपर्ट्स को देश में लाया जाएगा। खासतौर पर उन लोगों को देश में जॉब करने की इजाजत मिलेगी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग जैसी फील्ड में काम कर रहे हैं। इस वीजा के जरिए विदेशी वर्कर्स को पहले अस्थायी तौर पर रहकर जॉब करने की इजाजत होगी, फिर उन्हें देश में परमानेंट रेजिडेंसी भी दी जाएगी। इसके अलावा उनके पास दक्षिण कोरिया की नागरिकता लेने का भी ऑप्शन होगा।
वीजा कैटेगरी की खासियत
इस वीजा प्रोग्राम का सबसे ज्यादा फायदा रिसर्चर्स, टेक्नोलॉजिस्ट और स्कॉलर्स, खासतौर पर कोरियाई यूनिवर्सिटी या रिसर्च संस्थान से जुड़े लोगों को मिलेगा। इसके अलावा टेक सेक्टर के वर्कर्स और प्रोफेसर्स भी इस वीजा के जरिए देश में आ सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि अगर किसी विदेशी स्टूडेंट ने कोरियाई यूनिवर्सिटी से मास्टर या डॉक्टोरल डिग्री हासिल की है, तो उन्हें भी ये वीजा मिलेगा।
कुछ खास यूनिवर्सिटीज को भी वीजा ट्रैक का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके तहत अगर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष किसी विदेशी स्टूडेंट की सिफारिश करते हैं, तो फिर उसे ग्रेजुएशन के बाद बिना जॉब के भी रेजिडेंसी स्टेटस दिया जाएगा। वैसे तो 2023 में ही इसे पायलट प्रोग्राम के तौर पर लॉन्च किया गया था। लेकिन अब इसे बड़े पैमाने पर लॉन्च किया जा रहा है।
K-STAR वीजा के जरिए साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स ( STEM) के विदेशी एक्सपर्ट्स को देश में लाया जाएगा। खासतौर पर उन लोगों को देश में जॉब करने की इजाजत मिलेगी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग जैसी फील्ड में काम कर रहे हैं। इस वीजा के जरिए विदेशी वर्कर्स को पहले अस्थायी तौर पर रहकर जॉब करने की इजाजत होगी, फिर उन्हें देश में परमानेंट रेजिडेंसी भी दी जाएगी। इसके अलावा उनके पास दक्षिण कोरिया की नागरिकता लेने का भी ऑप्शन होगा।
वीजा कैटेगरी की खासियत
- टारगेट ग्रुप: सालाना 400 से ज्यादा टॉप लेवल के STEM प्रोफेशनल्स को देश में लाना।
- यूनिवर्सिटी के साथ सहयोग: ये वीजा प्रोग्राम प्रमुख कोरियाई यूनिवर्सिटीज के साथ साझेदारी में संचालित होगा।
- आसान एंट्री: ये वीजा ट्रैक हाई स्किल वाले प्रोफेशनल्स के लिए देश में एंट्री और रहने के प्रोसेस को आसान करता है।
- टैलेंट रोकना: इस पॉलिसी का मकसद आसान इमिग्रेशन शर्तों को पेश करके टैलेंट को देश में रोकना है।
इस वीजा प्रोग्राम का सबसे ज्यादा फायदा रिसर्चर्स, टेक्नोलॉजिस्ट और स्कॉलर्स, खासतौर पर कोरियाई यूनिवर्सिटी या रिसर्च संस्थान से जुड़े लोगों को मिलेगा। इसके अलावा टेक सेक्टर के वर्कर्स और प्रोफेसर्स भी इस वीजा के जरिए देश में आ सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि अगर किसी विदेशी स्टूडेंट ने कोरियाई यूनिवर्सिटी से मास्टर या डॉक्टोरल डिग्री हासिल की है, तो उन्हें भी ये वीजा मिलेगा।
कुछ खास यूनिवर्सिटीज को भी वीजा ट्रैक का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके तहत अगर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष किसी विदेशी स्टूडेंट की सिफारिश करते हैं, तो फिर उसे ग्रेजुएशन के बाद बिना जॉब के भी रेजिडेंसी स्टेटस दिया जाएगा। वैसे तो 2023 में ही इसे पायलट प्रोग्राम के तौर पर लॉन्च किया गया था। लेकिन अब इसे बड़े पैमाने पर लॉन्च किया जा रहा है।
You may also like
हमास ने सात बंधकों को रेड क्रॉस को सौंपा, इजरायल में खुशी का माहौल, 2 साल बाद अपनों से मिलने को जुटे हजारों लोग
दुर्गापुर गैंगरेप केस : टीएमसी सांसद काकोली घोष का विवादास्पद बयान, कहा- हर देश में ऐसा होता है
Congress: विदेशी धरती पर ऐसा क्या बोल गए राहुल गांधी की भड़क गए भाजपा के नेता
यह 5 बातें जो सभी की बीवियां छुपाती` हैं अपने पति से जानिये क्या है राज
अजीत डोभाल से क्यों मिले अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर... डिफेंस से ट्रेड तक किन मुद्दों पर बात, हर डिटेल्स