नई दिल्ली: सोमवार की सुबह बड़ी संख्या में विस्फोटक बरामद होने की जानकारी आई तो शाम होने पर लाल किले के पास ब्लास्ट हो गया। भारी मात्रा में विस्फोटक मिलने और फिर ब्लास्ट से इंटेलिजेंस पर फिर सवाल उठने लगे हैं। सभी तरफ सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी के बाद भी इस तरह विस्फोटक पहुंचना और ब्लास्ट होना सवाल खड़े कर रहा है। ये भी पहलगाम में हुए आतंकी हमले के महज 6 महीने बाद।
पहलगाम हमले की साजिश की भी नहीं लगी थी भनक22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की साजिश भी वक्त पर पता नहीं लग पाई थी। हालांकि बाद में भारत ने इस आतंकी हमले का बदला लिया और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया साथ ही उन आतंकियों को भी मार गिराया जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इंटेलिजेंस नेटवर्क और मजबूत करने पर भी फोकस किया।
पहले विस्फोटक मिलना और फिर ब्लास्ट होना...सिक्योरिटी एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि पहले विस्फोटक मिलना और फिर ब्लास्ट होना और ब्लास्ट का वक्त, जब भीड़ ज्यादा होती है, ये एक प्लॉट लग रहा है। जानकारी सामने आएगी लेकिन सबको सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि फौज के अंदर सिखाते हैं कि रिस्पेक्ट फॉर ऑल सस्पेक्ट फॉर ऑल यानी सबकी इज्जत करो लेकिन सबपर शक भी करो। यही सुरक्षा एजेंसियों को ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये विस्फोट क्या था और कौन इसके पीछे था, ये जांच में सामने आ जाएगा लेकिन ये भी तथ्य है कि किसी भी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकी नए तरह के कम्युनिकेशन सिस्टम्स का इस्तेमाल करने लगे हैं तो इंटेलिजेंस एजेंसियों को ज्यादा चौकस रहना होगा।
जम्मू में हुई थी पिछले साल कई वारदातेंपिछले साल जम्मू में कई आतंकी वारदातें हुई। जबकि करीब 20 साल से जम्मू शांत माना जा रहा था। वहां आतंकियों ने घात लगाकर सिक्योरिटी फोर्स को ही नहीं आम नागरिकों को भी निशाना बनाया। आतंकियों ने उन जगहों पर अटैक किया जहां सिक्योरिटी फोर्स हमले की सबसे कम आशंका मान रही थी। आतंकी झूठी जानकारी या दूसरे तरीकों से ट्रैप कर रहे थे और फिर घात लगाकर हमला कर रहे थे। जिसके बाद सिक्योरिटी नेटवर्क को मजबूत किया गया और ह्यूमन इंटेलिजेंस मजबूत करने पर भी काम हुआ।
पहलगाम हमले की साजिश की भी नहीं लगी थी भनक22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की साजिश भी वक्त पर पता नहीं लग पाई थी। हालांकि बाद में भारत ने इस आतंकी हमले का बदला लिया और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया साथ ही उन आतंकियों को भी मार गिराया जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इंटेलिजेंस नेटवर्क और मजबूत करने पर भी फोकस किया।
पहले विस्फोटक मिलना और फिर ब्लास्ट होना...सिक्योरिटी एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि पहले विस्फोटक मिलना और फिर ब्लास्ट होना और ब्लास्ट का वक्त, जब भीड़ ज्यादा होती है, ये एक प्लॉट लग रहा है। जानकारी सामने आएगी लेकिन सबको सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि फौज के अंदर सिखाते हैं कि रिस्पेक्ट फॉर ऑल सस्पेक्ट फॉर ऑल यानी सबकी इज्जत करो लेकिन सबपर शक भी करो। यही सुरक्षा एजेंसियों को ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये विस्फोट क्या था और कौन इसके पीछे था, ये जांच में सामने आ जाएगा लेकिन ये भी तथ्य है कि किसी भी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकी नए तरह के कम्युनिकेशन सिस्टम्स का इस्तेमाल करने लगे हैं तो इंटेलिजेंस एजेंसियों को ज्यादा चौकस रहना होगा।
जम्मू में हुई थी पिछले साल कई वारदातेंपिछले साल जम्मू में कई आतंकी वारदातें हुई। जबकि करीब 20 साल से जम्मू शांत माना जा रहा था। वहां आतंकियों ने घात लगाकर सिक्योरिटी फोर्स को ही नहीं आम नागरिकों को भी निशाना बनाया। आतंकियों ने उन जगहों पर अटैक किया जहां सिक्योरिटी फोर्स हमले की सबसे कम आशंका मान रही थी। आतंकी झूठी जानकारी या दूसरे तरीकों से ट्रैप कर रहे थे और फिर घात लगाकर हमला कर रहे थे। जिसके बाद सिक्योरिटी नेटवर्क को मजबूत किया गया और ह्यूमन इंटेलिजेंस मजबूत करने पर भी काम हुआ।
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