कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार को हटाने के लिए एक ऐसी रणनीति तैयार की है जो लोगों से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित है। खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर जोर दिया जाएगा। यह रणनीति किसी व्यक्ति विशेष पर हमला करने के बजाय जनता की समस्याओं को उठाने पर आधारित है।
क्या है बीजेपी का प्लान?
सूत्रों ने बताया कि 2019 के बंगाल विधानसभा चुनावों से सीख लेते हुए बीजेपी केवल ममता बनर्जी पर हमला करने के बजाय अब जनता से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही है। सूत्रों ने बताया कि इस रणनीति के तहत सभी मतदान केंद्रों खासकर लगभग 80 मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी की मजबूती सुनिश्चित करना प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि पार्टी तृणमूल शासन के दौरान शासन की कमी, महिलाओं की सुरक्षा और ममता सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार को उजागर करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगी।
दलबदलुओं पर निर्भरता नहीं
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी एक और विचार पर विचार कर रही है कि दलबदलुओं पर निर्भर रहने के बजाय अपने ही नेताओं से अधिक उम्मीदवार उतारे जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों से सबक लिया गया है। अवैध घुसपैठिए के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी बांग्लादेश में हाल ही में हुए उथल-पुथल को अपने चुनावी विमर्श में शामिल करने की योजना बना रही है। जिसमें हिंदू मंदिरों और रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर हमले भी शामिल हैं।
दलित चेहरों पर खास फोकस
पार्टी नेताओं ने बताया कि इन घटनाक्रमों के मद्देनजर अभियान बंगाली संस्कृति और पहचान पर केंद्रित होगा। बीजेपी अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए शांतनु ठाकुर और निसिथ प्रमाणिक पर भरोसा कर रही है। जो उत्तर बंगाल के दो प्रमुख अनुसूचित जाति समूहों मतुआ और राजबंशी समुदायों के प्रमुख चेहरे हैं। बीजेपी महिष्य समुदाय पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसकी दक्षिण बंगाल में मजबूत उपस्थिति है।
क्या है बीजेपी का प्लान?
सूत्रों ने बताया कि 2019 के बंगाल विधानसभा चुनावों से सीख लेते हुए बीजेपी केवल ममता बनर्जी पर हमला करने के बजाय अब जनता से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही है। सूत्रों ने बताया कि इस रणनीति के तहत सभी मतदान केंद्रों खासकर लगभग 80 मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी की मजबूती सुनिश्चित करना प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि पार्टी तृणमूल शासन के दौरान शासन की कमी, महिलाओं की सुरक्षा और ममता सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार को उजागर करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगी।
दलबदलुओं पर निर्भरता नहीं
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी एक और विचार पर विचार कर रही है कि दलबदलुओं पर निर्भर रहने के बजाय अपने ही नेताओं से अधिक उम्मीदवार उतारे जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों से सबक लिया गया है। अवैध घुसपैठिए के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी बांग्लादेश में हाल ही में हुए उथल-पुथल को अपने चुनावी विमर्श में शामिल करने की योजना बना रही है। जिसमें हिंदू मंदिरों और रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर हमले भी शामिल हैं।
दलित चेहरों पर खास फोकस
पार्टी नेताओं ने बताया कि इन घटनाक्रमों के मद्देनजर अभियान बंगाली संस्कृति और पहचान पर केंद्रित होगा। बीजेपी अपनी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए शांतनु ठाकुर और निसिथ प्रमाणिक पर भरोसा कर रही है। जो उत्तर बंगाल के दो प्रमुख अनुसूचित जाति समूहों मतुआ और राजबंशी समुदायों के प्रमुख चेहरे हैं। बीजेपी महिष्य समुदाय पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसकी दक्षिण बंगाल में मजबूत उपस्थिति है।
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