नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदले रुख से हर कोई हैरान है। जिन ट्रंप की जीत के लिए भारतीयों ने कभी दुआएं की थीं, वह आज इतने बदल कैसे गए हैं। वो भी किसी ऐसे के लिए जो भारत का सपने में भी भला नहीं सोच सकता है। कुछ और हो न हो, लेकिन पाकिस्तान ने एक मामले में भारत को मात दी है। आर्थिक संकट से जूझने के बावजूद पाकिस्तान अमेरिका में भारत से तीन गुना ज्यादा पैसे लॉबिंग और कम्युनिकेशन पर खर्च कर रहा है। इसका मकसद वाशिंगटन में अपनी पैठ बढ़ाना है। पाकिस्तान हर महीने लगभग 6,00,000 डॉलर (करीब 5 करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है ताकि व्हाइट हाउस, कांग्रेस और अमेरिकी एजेंसियों तक उसकी पहुंच बढ़ सके। इसके लिए उसने छह लॉबिंग और कानूनी फर्मों को काम पर रखा है। वहीं, पाकिस्तान से 10 गुना बड़ी अर्थव्यवस्था वाला भारत हर महीने लगभग 2,00,000 डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपये) खर्च करता है। उसने केवल दो फर्मों को ही काम पर रखा है। पाकिस्तान का यह कदम अमेरिका में अपनी छवि सुधारने और भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश है।
पाकिस्तान अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए खूब पैसा खर्च कर रहा है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका में लॉबिंग और रणनीतिक संचार पर भारत के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा खर्च कर रहा है। पाकिस्तान का टारगेट वाशिंगटन के गलियारों में अपनी ताकत बढ़ाना है।
पाकिस्तान ने किन कंपनियों को कर रखा है हायर?
पाकिस्तान हर महीने लगभग 6 लाख डॉलर (लगभग 5 करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है। वह चाहता है कि व्हाइट हाउस, कांग्रेस और अमेरिकी एजेंसियों में उसकी बात सुनी जाए। भले ही पाकिस्तान आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहा है। लेकिन, उसने इस काम के लिए छह लॉबिंग और कानूनी फर्मों को हायर किया है।
पाकिस्तान की लॉबिंग करने वाली सबसे बड़ी कंपनी ऑर्चिड एडवाइजर्स एलएलसी है। इसे हर महीने 2,50,000 डॉलर (लगभग 2 करोड़ रुपये) मिलते हैं। इसका काम ट्रंप प्रशासन, वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ तक पाकिस्तान की पहुंच बनाना है। ऑर्चिड ने स्क्वायर पैटन बॉग्स (Squire Patton Boggs) नाम की एक और कंपनी को भी हायर किया है। यह अमेरिकी सांसदों से संपर्क करने में मदद करेगी।
सीडन लॉ को हर महीने 2,00,000 डॉलर (लगभग 1.6 करोड़ रुपये) मिलते हैं। इसका काम जरूरी खनिजों के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों से रिश्ते बनाना है। सीडन लॉ की मदद के लिए जैवलिन एडवाइजर्स और कॉन्सेंस पॉइंट कंसल्टिंग जैसी कंपनियां भी काम कर रही हैं। जैवलिन एडवाइजर्स को 50,000 डॉलर और कॉन्सेंस पॉइंट कंसल्टिंग को 25,000 डॉलर हर महीने मिलते हैं।
पाकिस्तान कोर्विस (Qorvis) नाम की एक कंपनी को भी हर महीने 150,000 डॉलर (लगभग 1.2 करोड़ रुपये) देता है। Qorvis का काम पाकिस्तान की छवि को सुधारना और लोगों के बीच अच्छी बातें फैलाना है। यह कंपनी 'रणनीतिक कहानी' बनाने और 'टारगेटेड कम्युनिकेशन' में माहिर है।
भारत ने किसे सौंप रखी है जिम्मेदारी?
इसके मुकाबले, भारत हर महीने लगभग 200,000 डॉलर (लगभग 1.6 करोड़ रुपये) खर्च करता है। भारत ने सिर्फ दो कंपनियों को हायर किया है। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 10 गुना बड़ी है। फिर भी वह लॉबिंग पर कम पैसे खर्च कर रहा है। पाकिस्तान की इस लॉबिंग का असर भी दिख रहा है। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान में अमेरिका के निवेश और तेल भंडार में दिलचस्पी दिखाई है। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका की तारीफ भी की है।
भारत ने SHW पार्टनर्स और BGR एसोसिएट्स नाम की दो कंपनियों को हायर किया है। SHW पार्टनर्स को जेसन मिलर चलाते हैं, जो ट्रंप के सलाहकार रह चुके हैं। BGR एसोसिएट्स एक बड़ी लॉबिंग फर्म है, जिसके क्लाइंट साउथ कोरिया और सर्बिया जैसे देश भी हैं। वाशिंगटन DC में लॉबिंग फर्म सिर्फ पहुंच ही नहीं दिलातीं, बल्कि वे कहानियां बनाती हैं, छवि सुधारती हैं और विदेशी सरकारों को अहम फैसले लेने में मदद करती हैं।
पाकिस्तान अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए खूब पैसा खर्च कर रहा है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका में लॉबिंग और रणनीतिक संचार पर भारत के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा खर्च कर रहा है। पाकिस्तान का टारगेट वाशिंगटन के गलियारों में अपनी ताकत बढ़ाना है।
पाकिस्तान ने किन कंपनियों को कर रखा है हायर?
पाकिस्तान हर महीने लगभग 6 लाख डॉलर (लगभग 5 करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है। वह चाहता है कि व्हाइट हाउस, कांग्रेस और अमेरिकी एजेंसियों में उसकी बात सुनी जाए। भले ही पाकिस्तान आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहा है। लेकिन, उसने इस काम के लिए छह लॉबिंग और कानूनी फर्मों को हायर किया है।
पाकिस्तान की लॉबिंग करने वाली सबसे बड़ी कंपनी ऑर्चिड एडवाइजर्स एलएलसी है। इसे हर महीने 2,50,000 डॉलर (लगभग 2 करोड़ रुपये) मिलते हैं। इसका काम ट्रंप प्रशासन, वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ तक पाकिस्तान की पहुंच बनाना है। ऑर्चिड ने स्क्वायर पैटन बॉग्स (Squire Patton Boggs) नाम की एक और कंपनी को भी हायर किया है। यह अमेरिकी सांसदों से संपर्क करने में मदद करेगी।
सीडन लॉ को हर महीने 2,00,000 डॉलर (लगभग 1.6 करोड़ रुपये) मिलते हैं। इसका काम जरूरी खनिजों के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों से रिश्ते बनाना है। सीडन लॉ की मदद के लिए जैवलिन एडवाइजर्स और कॉन्सेंस पॉइंट कंसल्टिंग जैसी कंपनियां भी काम कर रही हैं। जैवलिन एडवाइजर्स को 50,000 डॉलर और कॉन्सेंस पॉइंट कंसल्टिंग को 25,000 डॉलर हर महीने मिलते हैं।
पाकिस्तान कोर्विस (Qorvis) नाम की एक कंपनी को भी हर महीने 150,000 डॉलर (लगभग 1.2 करोड़ रुपये) देता है। Qorvis का काम पाकिस्तान की छवि को सुधारना और लोगों के बीच अच्छी बातें फैलाना है। यह कंपनी 'रणनीतिक कहानी' बनाने और 'टारगेटेड कम्युनिकेशन' में माहिर है।
भारत ने किसे सौंप रखी है जिम्मेदारी?
इसके मुकाबले, भारत हर महीने लगभग 200,000 डॉलर (लगभग 1.6 करोड़ रुपये) खर्च करता है। भारत ने सिर्फ दो कंपनियों को हायर किया है। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 10 गुना बड़ी है। फिर भी वह लॉबिंग पर कम पैसे खर्च कर रहा है। पाकिस्तान की इस लॉबिंग का असर भी दिख रहा है। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान में अमेरिका के निवेश और तेल भंडार में दिलचस्पी दिखाई है। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका की तारीफ भी की है।
भारत ने SHW पार्टनर्स और BGR एसोसिएट्स नाम की दो कंपनियों को हायर किया है। SHW पार्टनर्स को जेसन मिलर चलाते हैं, जो ट्रंप के सलाहकार रह चुके हैं। BGR एसोसिएट्स एक बड़ी लॉबिंग फर्म है, जिसके क्लाइंट साउथ कोरिया और सर्बिया जैसे देश भी हैं। वाशिंगटन DC में लॉबिंग फर्म सिर्फ पहुंच ही नहीं दिलातीं, बल्कि वे कहानियां बनाती हैं, छवि सुधारती हैं और विदेशी सरकारों को अहम फैसले लेने में मदद करती हैं।
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