लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अदालती दस्तावेजों में लाल थूक लगाने की परंपरा को खत्म किया जाएगा। इस संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने कड़े तेवर दिखाए हैं। केस की फाइलों में दाखिल किए गए पन्नों पर लाल थूक लगे होने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे गंदे और घृष्णाष्पद चलन से संपर्क में आने वालों में संक्रमण का खतरा बढ़ता है। कोर्ट ने इस प्रथा को घृणास्पद, निंदनीय और बुनियादी नागरिक समझ की कमी करार देते हुए इसे किसी भी हाल में अस्वीकार्य बताया है।
कोर्ट ने जताई नाराजगीबहराइच की कृष्णावती की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने आदेश की शुरुआत ही इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणी से की। उन्होंने कहा कि अदालत ने सुबह से अब तक दाखिल हुई 10 से अधिक याचिकाओं और आवेदनों में लाल रंग के थूक के दाग पाए, जिन्हें पन्ने पलटने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई।
कोर्ट ने आशंका जताई कि यह प्रथा निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक यानी मुंशियों, ओथ कमिश्नरों, रजिस्ट्री कर्मचारियों, शासकीय अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता के दफ्तरों में प्रचलित है। कोर्ट ने लाल थूक मामले में कहा कि यह गंदी प्रथा अत्यंत अस्वच्छ है। थूक का इस्तेमाल बुनियादी नागरिक समझ की कमी को दर्शाता है।
प्रथा रोकने का आदेशजस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि अगर इस गंदी आदत को रोका नहीं गया, तो यह संक्रमण फैलाने का बड़ा कारण बन सकती है। यह किसी भी कीमत पर सहनीय नहीं है। कोर्ट ने इस प्रथा पर तत्काल रोक लगाने के लिए स्पष्ट आदेश जारी किए। सीनियर रजिस्ट्रार और रजिस्ट्री के प्रभारी को निर्देश दिया गया कि किसी भी थूक-युक्त कागज को स्वीकार न किया जाए।
कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता को भी अपने कार्यालयों में इस पर लिखित आदेश जारी कर रोक सुनिश्चित करने को कहा गया। अदालत ने यह भी कहा कि रजिस्ट्री और दफ्तरों में दस्तावेज दाखिल करते समय गहन जांच की जाए और थूक वाले पन्नों को सीधे खारिज कर दिया जाए।
सुनवाई के क्रम में टिप्पणीहाई कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी उस समय आई, जब अदालत बहराइच जिले की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में महसी तहसील के एसडीएम और निगरानी अदालत के संपत्ति अटैच करने संबंधी आदेशों को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया। फिलहाल विवादित आदेशों पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई 27 अक्टूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।
कोर्ट ने जताई नाराजगीबहराइच की कृष्णावती की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने आदेश की शुरुआत ही इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणी से की। उन्होंने कहा कि अदालत ने सुबह से अब तक दाखिल हुई 10 से अधिक याचिकाओं और आवेदनों में लाल रंग के थूक के दाग पाए, जिन्हें पन्ने पलटने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई।
कोर्ट ने आशंका जताई कि यह प्रथा निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक यानी मुंशियों, ओथ कमिश्नरों, रजिस्ट्री कर्मचारियों, शासकीय अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता के दफ्तरों में प्रचलित है। कोर्ट ने लाल थूक मामले में कहा कि यह गंदी प्रथा अत्यंत अस्वच्छ है। थूक का इस्तेमाल बुनियादी नागरिक समझ की कमी को दर्शाता है।
प्रथा रोकने का आदेशजस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि अगर इस गंदी आदत को रोका नहीं गया, तो यह संक्रमण फैलाने का बड़ा कारण बन सकती है। यह किसी भी कीमत पर सहनीय नहीं है। कोर्ट ने इस प्रथा पर तत्काल रोक लगाने के लिए स्पष्ट आदेश जारी किए। सीनियर रजिस्ट्रार और रजिस्ट्री के प्रभारी को निर्देश दिया गया कि किसी भी थूक-युक्त कागज को स्वीकार न किया जाए।
कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता को भी अपने कार्यालयों में इस पर लिखित आदेश जारी कर रोक सुनिश्चित करने को कहा गया। अदालत ने यह भी कहा कि रजिस्ट्री और दफ्तरों में दस्तावेज दाखिल करते समय गहन जांच की जाए और थूक वाले पन्नों को सीधे खारिज कर दिया जाए।
सुनवाई के क्रम में टिप्पणीहाई कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी उस समय आई, जब अदालत बहराइच जिले की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में महसी तहसील के एसडीएम और निगरानी अदालत के संपत्ति अटैच करने संबंधी आदेशों को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया। फिलहाल विवादित आदेशों पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई 27 अक्टूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।
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