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मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण में कोई कानूनी बाधा नहीं... भगोड़े हीरा कारोबारी को बेल्जियम कोर्ट से तगड़ा झटका

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नई दिल्ली: भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को लेकर बड़ा अपडेट है। बेल्जियम की एक अदालत ने दो टूक कहा कि चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने में कोई बाधा नहीं है। यह फैसला एंटवर्प की एक अदालत ने 17 अक्टूबर को सुनाया। कोर्ट ने 13,500 करोड़ रुपये के पीएनबी धोखाधड़ी मामले में मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। अदालत ने बेल्जियम के अधिकारियों की ओर से अप्रैल में की गई उसकी गिरफ्तारी को भी कानूनी रूप से सही ठहराया। यह भारत के लिए बड़ी कामयाबी है, जो इस भगोड़े कारोबारी को पकड़ने की लगातार कोशिश कर रहा है।

बेल्जियम की अदालत ने क्या कहा
अदालत ने साफ किया कि मेहुल चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं है, बल्कि एक विदेशी नागरिक है। कोर्ट ने यह भी माना कि उसके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि भारत की ओर से लगाए गए आरोप जैसे धोखाधड़ी, जालसाजी, दस्तावेजों में हेरफेर और भ्रष्टाचार, बेल्जियम के कानून के तहत भी अपराध माने जाते हैं।


इन धाराओं में दर्ज है मामलाअदालत ने पाया कि भारत में दर्ज मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 201 (सबूत मिटाना), 409 (लोक सेवक की ओर से विश्वास का हनन), 420 (धोखाधड़ी) और 477A (खातों में हेरफेर) के तहत आते हैं। साथ ही, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी लागू होती हैं। इन सभी अपराधों में एक साल से अधिक की सजा का प्रावधान है।


मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर हर पेंच खत्महालांकि, अदालत ने आगे कहा कि इन अपराधों में मेहुल चोकसी की भूमिका आपराधिक गिरोह में शामिल होना, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करना हो सकती है। ये सभी बेल्जियम आपराधिक संहिता के अनुच्छेद 66, 196, 197, 213, 240, 241, 245, 246, 247 और 496 के तहत गंभीर अपराध हैं। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की ओर से लगाए गए एक आरोप, 'सबूत मिटाना' (IPC धारा 201), बेल्जियम के कानून के तहत अपराध नहीं माना जाता है। इसलिए, केवल इस एक आरोप के आधार पर प्रत्यर्पण की अनुमति नहीं दी जा सकती।

पीएनबी धोखाधड़ी मामले में एक्शन
अदालत के फैसले में कहा गया कि कथित अपराध 31 दिसंबर, 2016 से 1 जनवरी, 2019 के बीच हुए थे। यह भी पाया गया कि भारत और बेल्जियम दोनों देशों में इन अपराधों के लिए समय-सीमा समाप्त नहीं हुई थी। चोकसी ने अदालत में यह दलील दी थी कि उसे एंटीगुआ से अगवा किया गया था और उसे भारत में राजनीतिक उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार का खतरा है। लेकिन अदालत को उसके इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

मेहुल चोकसी को आर्थर रोड जेल में रखने का प्लान
भारत सरकार की ओर से दी गई जानकारी का हवाला देते हुए, अदालत ने नोट किया कि चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा। इस बैरक में 46 वर्ग मीटर का क्षेत्र, दो सेल और एक निजी शौचालय शामिल है। भारत ने यह आश्वासन दिया कि उसे केवल चिकित्सा जरूरतों या अदालत में पेशी के लिए ही जेल से बाहर निकाला जाएगा। चोकसी ने अपने बचाव में एक्सपर्ट रिपोर्ट, अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और विभिन्न दस्तावेज पेश किए थे।

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