नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान का खुलकर साथ देने वाले तुर्की को भारत सरकार ने करारा जवाब दिया है। सरकार ने अंकारा के राष्ट्रीय दिवस समारोह पर दिल्ली में आयोजित समारोह में भाग नहीं लिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत और तुर्की के बीच कूटनीतिक संबंधों में हाल के वर्षों में कुछ मतभेद देखने को मिले हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली में तुर्की दूतावास की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में कई देशों के राजदूत मौजूद थे लेकिन भारत सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति नहीं रही। पिछले कई सालों में तुर्की के राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय का कोई प्रतिनिधि ऐसे अवसरों पर उपस्थित रहते थे।
भारत-तुर्की के संबंधों में तल्खी
माना जा रहा है भारत का यह कदम तुर्की के हालिया रुखों और बयानों के प्रति एक राजनयिक संकेत है। तुर्की ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की नीतियों पर टिप्पणी की है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते में तल्खी आई है। हालांकि, इस मामले पर विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान की खुलकर समर्थन किया था। साथ ही उसने पाकिस्तान को सैन्य सहायता भी दी थी। तुर्की ने पाकिस्तान को बेराकटर टीबी2, वाईआईएचए और सोंगर्स ड्रोन दिए, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया। कई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तुर्की के सैन्य ऑपरेटिव भारतीय सेना के खिलाफ रियल-टाइम स्ट्राइक ऑपरेशन में शामिल थे। इन्हीं रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय जवाबी कार्रवाई में कम से कम दो तुर्की सैन्य ऑपरेटिव के मारे जाने की पुष्टि हुई थी।
तुर्की की घेराबंदी कर रहा भारत
पिछले कुछ समय से तुर्की और पाकिस्तान के बीच लगातार संबंध बढ़ रहे हैं, हालांकि वैश्विक स्तर पर होते बदलावों को देखते हुए भारत भी चौकन्ना है। साथ ही भारत सरकार ने तुर्की की चौतरफा घेराबंदी शुरू कर दी है। पूर्वी यूरोप के देशों ग्रीस, आर्मेनिया और साइप्रस के साथ संबंधों का विस्तार किया है। पाकिस्तान-तुर्की सिर्फ सैन्य सहयोह को ही नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि उपग्रह प्रौद्योगिकी, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष अन्वेषण में संयुक्त उपक्रमों तक इसका विस्तार कर रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए कई मोर्चों पर खतरा बढ़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली में तुर्की दूतावास की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में कई देशों के राजदूत मौजूद थे लेकिन भारत सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति नहीं रही। पिछले कई सालों में तुर्की के राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय का कोई प्रतिनिधि ऐसे अवसरों पर उपस्थित रहते थे।
भारत-तुर्की के संबंधों में तल्खी
माना जा रहा है भारत का यह कदम तुर्की के हालिया रुखों और बयानों के प्रति एक राजनयिक संकेत है। तुर्की ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की नीतियों पर टिप्पणी की है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते में तल्खी आई है। हालांकि, इस मामले पर विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान की खुलकर समर्थन किया था। साथ ही उसने पाकिस्तान को सैन्य सहायता भी दी थी। तुर्की ने पाकिस्तान को बेराकटर टीबी2, वाईआईएचए और सोंगर्स ड्रोन दिए, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया। कई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तुर्की के सैन्य ऑपरेटिव भारतीय सेना के खिलाफ रियल-टाइम स्ट्राइक ऑपरेशन में शामिल थे। इन्हीं रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारतीय जवाबी कार्रवाई में कम से कम दो तुर्की सैन्य ऑपरेटिव के मारे जाने की पुष्टि हुई थी।
तुर्की की घेराबंदी कर रहा भारत
पिछले कुछ समय से तुर्की और पाकिस्तान के बीच लगातार संबंध बढ़ रहे हैं, हालांकि वैश्विक स्तर पर होते बदलावों को देखते हुए भारत भी चौकन्ना है। साथ ही भारत सरकार ने तुर्की की चौतरफा घेराबंदी शुरू कर दी है। पूर्वी यूरोप के देशों ग्रीस, आर्मेनिया और साइप्रस के साथ संबंधों का विस्तार किया है। पाकिस्तान-तुर्की सिर्फ सैन्य सहयोह को ही नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि उपग्रह प्रौद्योगिकी, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष अन्वेषण में संयुक्त उपक्रमों तक इसका विस्तार कर रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए कई मोर्चों पर खतरा बढ़ रहा है।
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