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सरकार का हिस्सा... बिहार चुनाव से पहले ये क्या बोल गए प्रशांत किशोर, जातिगत जनगणना पर दिया करारा जवाब

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नई दिल्ली: बिहार चुनाव में दूसरे चरण के मतदान के ठीक पहले जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने समाचार एजेंसी एएनआई को इंटरव्यू दिया है। उन्होंने इस इंटरव्यू में जातिगत जनगणना से लेकर आरक्षण पर कई अहम बातें कहीं। प्रशांत किशोर ने कहा कि सभी इस बात पर सहमत हैं कि जाति जनगणना होनी चाहिए। लेकिन ये सोचना कि सिर्फ जाति जनगणना से ही देश की पूरी समस्या हल हो जाएगी, ये कहना बहुत बड़ी मूर्खता है। बिहार में भी एक सर्वे हुआ था, लेकिन बताइए, इससे बिहार में क्या बदला?


रिपोर्ट का निष्कर्ष ये है कि अनुसूचित जाति के 3% बच्चे 12वीं कक्षा पास कर रहे हैं। अति पिछड़ा समाज और मुस्लिम समुदाय के 7% से भी कम लोग 12वीं कक्षा पास कर रहे हैं। बिहार के सिर्फ 15% लोग ही 12वीं कक्षा पास कर रहे हैं। इन बुनियादी मुद्दों पर बात करने की बजाय आप सीधे कह रहे हैं कि आरक्षण बढ़ाओ या घटाओ। मैं कह रहा हूं कि आपको आरक्षण 100% बढ़ाना चाहिए लेकिन राज्य के वंचितों और छात्रों के बुनियादी मुद्दों का समाधान तो कीजिए।


सरकार का हिस्सा बनने का सवाल ही नहीं उठता...

प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार का हिस्सा बनने का सवाल ही नहीं उठता। या तो हम अपनी सरकार बनाएंगे, या बाहर बैठेंगे। जरूरत पड़ी तो दोबारा चुनाव कराएंगे। हम विचारधारा के आधार पर भाजपा के खिलाफ हैं... हम महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षाओं के साथ आगे बढ़ेंगे।

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि हमने जन सुराज के निर्माण में अपना खून-पसीना एक कर दिया है और बदलाव दिखने लगा है, तो चलिए नतीजों का इंतजार करते हैं। जब नतीजे आएंगे, तो सबसे बुरा क्या हो सकता है? हो सकता है कि इस बार जन सुराज को उतनी सीटें न मिलें, फिर हम अगले पांच साल काम करेंगे। इतनी जल्दी क्या है? मैं 48 साल का हूं, मैं इस काम के लिए 5 साल और दे सकता हूं।

मैं पूंजी समर्थक हूं लेकिन...
प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं पूंजी समर्थक हूं और पूंजी का स्वागत करता हूं। हमारा मूल विश्वास यह है कि पूंजी सिर्फ कुछ उद्योगपतियों से नहीं आती। पूंजी लोगों के हाथों में आनी चाहिए और उपभोग बढ़ना चाहिए। मैं समाज के नाम पर बिहार में गरीबी को बांटना नहीं चाहता हूं। मैं पूंजी का निर्माण होते देखना चाहता हूं।

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि हम किसी का झंडा लेकर घूमने के लिए पैदा नहीं हुए हैं। मैंने जिनके साथ भी काम किया, थोड़े समय के लिए ही काम किया। यह मेरी अपनी यात्रा है। उस यात्रा में बीच-बीच में लोग मिलेंगे, लेकिन वह हमारी मंज़िल नहीं थी, न है और न ही होगी।
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