पटना: बिहार में गुरुवार को पहले चरण में हुई रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग में महिला वोटरों ने बढ़चढ़कर भाग लिया और पुरुषों की अपेक्षा उनसे अधिक मतदान किया। मतदान के अगले दिन शुक्रवार को मतदान का यह आंकड़ा 64.66 फीसदी बढ़कर करीब 65 को टच कर गया। पिछले चुनावों की तरह इसमें 24 घंटे बाद तीन-चार फीसदी या इससे अधिक की बढ़ोतरी नहीं हुई। मतदान के बाद फॉर्म नंबर-17 की जांच के बाद यह पाया गया कि किसी भी पोलिंग बूथ पर फिर से चुनाव कराने की नौबत नहीं आई है।
डेटा क्या कह रहा?
आयोग के डेटा के मुताबिक, पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में 22 सीट ऐसी रहीं। जिनमें 70 फीसदी से अधिक मतदान हुआ। इनमें भी चार सीटें ऐसी थी। जिनमें 75 फीसदी से भी अधिक वोट पड़े। इनमें सबसे अधिक मीणापुर विधानसभा सीट रही। जहां 77 फीसदी से भी अधिक रिकॉर्डतोड़ वोटिंग हुई। हालांकि, इन सभी के बीच कुम्हरार सीट ऐसी रही। जहां 40 फीसदी से भी कम मतदान हुआ। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव वाली सीट पर 68 फीसदी से अधिक मतदान हुआ।
रिकॉर्ड हुआ मतदान
हालांकि, पहले चरण में हुए रिकॉर्ड मतदान में बिहार में हुई एसआईआर प्रक्रिया का भी अहम योगदान रहा। बिहार में 24 जून को एसआईआर प्रक्रिया शुरू करते वक्त बिहार में 7.89 करोड़ वोटर थे। जिसमें एसआईआर प्रक्रिया के दौरान करीब 65 लाख वोटरों के नाम डिलीट किए गए। इनमें मृत, बिहार से बाहर दूसरी जगह परमानेंट शिफ्ट होने वाले, लापता, डुप्लिकेट और अन्य बोगस वोटरों के नाम हटा दिए गए थे। एक अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 7.24 करोड़ वोटर थे। जिसमें 30 सितंबर को फाइनल वोटर लिस्ट के पब्लिकेशन के दौरान बढ़ोतरी हुई और वोटरों की यह संख्या 7.43 करोड़ हो गई।
एसआईआर का प्रभाव!
जानकारों का कहना है कि करीब 70 लाख वोटरों के नाम हटने का असर भी पहले चरण में हुए मतदान पर पड़ा। क्योंकि, जो वोटर मर चुके थे, डुप्लिकेट थे, शिफ्ट हो गए थे या फिर लापता थे। उनका वोट ना पड़ने से वोटिंग परसेंटेज कम हो रहा था। ऐसे में एसआईआर प्रक्रिया ने भी बिहार में वोटिंग बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
डेटा क्या कह रहा?
आयोग के डेटा के मुताबिक, पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में 22 सीट ऐसी रहीं। जिनमें 70 फीसदी से अधिक मतदान हुआ। इनमें भी चार सीटें ऐसी थी। जिनमें 75 फीसदी से भी अधिक वोट पड़े। इनमें सबसे अधिक मीणापुर विधानसभा सीट रही। जहां 77 फीसदी से भी अधिक रिकॉर्डतोड़ वोटिंग हुई। हालांकि, इन सभी के बीच कुम्हरार सीट ऐसी रही। जहां 40 फीसदी से भी कम मतदान हुआ। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव वाली सीट पर 68 फीसदी से अधिक मतदान हुआ।
रिकॉर्ड हुआ मतदान
हालांकि, पहले चरण में हुए रिकॉर्ड मतदान में बिहार में हुई एसआईआर प्रक्रिया का भी अहम योगदान रहा। बिहार में 24 जून को एसआईआर प्रक्रिया शुरू करते वक्त बिहार में 7.89 करोड़ वोटर थे। जिसमें एसआईआर प्रक्रिया के दौरान करीब 65 लाख वोटरों के नाम डिलीट किए गए। इनमें मृत, बिहार से बाहर दूसरी जगह परमानेंट शिफ्ट होने वाले, लापता, डुप्लिकेट और अन्य बोगस वोटरों के नाम हटा दिए गए थे। एक अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 7.24 करोड़ वोटर थे। जिसमें 30 सितंबर को फाइनल वोटर लिस्ट के पब्लिकेशन के दौरान बढ़ोतरी हुई और वोटरों की यह संख्या 7.43 करोड़ हो गई।
एसआईआर का प्रभाव!
जानकारों का कहना है कि करीब 70 लाख वोटरों के नाम हटने का असर भी पहले चरण में हुए मतदान पर पड़ा। क्योंकि, जो वोटर मर चुके थे, डुप्लिकेट थे, शिफ्ट हो गए थे या फिर लापता थे। उनका वोट ना पड़ने से वोटिंग परसेंटेज कम हो रहा था। ऐसे में एसआईआर प्रक्रिया ने भी बिहार में वोटिंग बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
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