नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच रिश्तों में नरमी आई है। इसी के साथ भारत चीन को बड़ा बूस्टर देने की तैयारी में है। इसके तहत गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी ( गिफ्टी सिटी ) में मौजूद इंटरनेशनल बैंकिंग यूनिट्स (आईबीयू) को ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) में लेनदेन की इजाजत दी जा सकती है। यानी गिफ्टी सिटी में युआन की एंट्री का रास्ता साफ हो सकता है। भारत सरकार और इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) इस पर विचार कर रहे हैं। यह सुझाव बैंकों की ओर से आया है। वे इसे एक बड़ा मौका मान रहे हैं।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव अक्टूबर में सरकार और आईएफएससीए को दिया गया था। कुछ बैंकों ने इस बात पर जोर दिया कि ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) एक ऐसी मुद्रा है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी स्वीकार किया जाता है। इसलिए, इंटरनेशनल बैंकिंग यूनिट्स यानी आईबीयू को इसमें लेन-देन की अनुमति मिलनी चाहिए। बैंकों का मानना है कि इससे वे अपने ग्राहकों को और भी ज्यादा तरह के उत्पाद और सेवाएं दे पाएंगे।
बढ़ रही युआन की स्वीकार्यता
चीनी युआन के दो रूप हैं। सीएनवाई जो मुख्य भूमि चीन (ऑनशोर) में इस्तेमाल होता है और सीएनएच जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों (ऑफशोर) में इस्तेमाल होता है। चीन के साथ व्यापार बढ़ने के कारण कई देश अब युआन में लेनदेन को स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय बैंकों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। आईबीयू फिलहाल 15 अलग-अलग मुद्राओं में लेनदेन कर सकती हैं। वे ग्राहकों को स्पॉट और डेरिवेटिव उत्पाद भी दे सकती हैं।
साल 2024 में आईबीयू ने अनुमान लगाया था कि पांच प्रमुख मुद्राओं का कुल व्यापार 8.2 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो सकता है। इनमें सीएनएच भी शामिल है। आईएफएससीए ने पहले भी सुझाव दिया था कि ये पांचों मुद्राएं फ्री फ्लोट में हैं और अंतरराष्ट्रीय भुगतान में इस्तेमाल के मामले में टॉप 20 में आती हैं। इसलिए इन्हें अनुमति दी जानी चाहिए।
भारत के रुख में नरमी के संकेत
हालांकि, सरकार ने पहले विचार-विमर्श के बाद चार मुद्राओं - स्वीडिश क्रोना (SEK), डेनिश क्रोन (DKK), नॉर्वेजियन क्रोन (NOK) और न्यूजीलैंड डॉलर (NZD) - को मंजूरी दी थी। लेकिन, ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) को छोड़ दिया था। लेकिन, अब भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार को देखते हुए इस प्रस्ताव पर फिर से विचार किया जा रहा है। ईटी ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि यह फैसला सबसे ऊंचे स्तर पर लिया जाएगा। आईएफएससीए ने इस मामले पर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि युआन-रुपया लेनदेन की अनुमति से दोनों देशों को फायदा होगा। इससे ऑफशोर बाजारों में दोनों मुद्राओं की लिक्विडिटी बढ़ेगी। यह ऐसे समय में हो रहा है जब डॉलर अभी भी ग्लोबल व्यापार में हावी है। भले ही उसे चुनौती देने की कोशिशें चल रही हैं।
कैसे होगा भारत को फायदा?
ग्रैंड थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर और फाइनेंशियल सर्विसेज रिस्क एडवाइजरी के लीडर विवेक अय्यर के अनुसार, 'एक बहुध्रुवीय दुनिया में जिंदा रहने और आगे बढ़ने के लिए हर समूह के साथ संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है। व्यापार के उद्देश्य से मुद्रा की मान्यता संबंध शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है।'
इंटरनेशनल बैंकिंग यूनिट्स गिफ्टी सिटी में स्थित ऐसी इकाइयां हैं जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाएं प्रदान करती हैं। वे विदेशी मुद्राओं में लेनदेन कर सकती हैं और भारतीय बैंकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने में मदद करती हैं। ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) में लेनदेन की अनुमति मिलने से भारतीय बैंकों को चीन के साथ व्यापार करने वाले अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने में आसानी होगी। यह भारत को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम होगा।
गिफ्टी सिटी भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है, जो गुजरात में स्थित है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं के लिए प्रमुख केंद्र बनाना है। यहां आईबीयू को विशेष टैक्स छूट और अन्य सुविधाएं मिलती हैं ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। सीएनएच में लेनदेन की अनुमति इस केंद्र की क्षमताओं को और बढ़ाएगी।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रस्ताव अक्टूबर में सरकार और आईएफएससीए को दिया गया था। कुछ बैंकों ने इस बात पर जोर दिया कि ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) एक ऐसी मुद्रा है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी स्वीकार किया जाता है। इसलिए, इंटरनेशनल बैंकिंग यूनिट्स यानी आईबीयू को इसमें लेन-देन की अनुमति मिलनी चाहिए। बैंकों का मानना है कि इससे वे अपने ग्राहकों को और भी ज्यादा तरह के उत्पाद और सेवाएं दे पाएंगे।
बढ़ रही युआन की स्वीकार्यता
चीनी युआन के दो रूप हैं। सीएनवाई जो मुख्य भूमि चीन (ऑनशोर) में इस्तेमाल होता है और सीएनएच जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों (ऑफशोर) में इस्तेमाल होता है। चीन के साथ व्यापार बढ़ने के कारण कई देश अब युआन में लेनदेन को स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय बैंकों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। आईबीयू फिलहाल 15 अलग-अलग मुद्राओं में लेनदेन कर सकती हैं। वे ग्राहकों को स्पॉट और डेरिवेटिव उत्पाद भी दे सकती हैं।
साल 2024 में आईबीयू ने अनुमान लगाया था कि पांच प्रमुख मुद्राओं का कुल व्यापार 8.2 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो सकता है। इनमें सीएनएच भी शामिल है। आईएफएससीए ने पहले भी सुझाव दिया था कि ये पांचों मुद्राएं फ्री फ्लोट में हैं और अंतरराष्ट्रीय भुगतान में इस्तेमाल के मामले में टॉप 20 में आती हैं। इसलिए इन्हें अनुमति दी जानी चाहिए।
भारत के रुख में नरमी के संकेत
हालांकि, सरकार ने पहले विचार-विमर्श के बाद चार मुद्राओं - स्वीडिश क्रोना (SEK), डेनिश क्रोन (DKK), नॉर्वेजियन क्रोन (NOK) और न्यूजीलैंड डॉलर (NZD) - को मंजूरी दी थी। लेकिन, ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) को छोड़ दिया था। लेकिन, अब भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार को देखते हुए इस प्रस्ताव पर फिर से विचार किया जा रहा है। ईटी ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि यह फैसला सबसे ऊंचे स्तर पर लिया जाएगा। आईएफएससीए ने इस मामले पर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि युआन-रुपया लेनदेन की अनुमति से दोनों देशों को फायदा होगा। इससे ऑफशोर बाजारों में दोनों मुद्राओं की लिक्विडिटी बढ़ेगी। यह ऐसे समय में हो रहा है जब डॉलर अभी भी ग्लोबल व्यापार में हावी है। भले ही उसे चुनौती देने की कोशिशें चल रही हैं।
कैसे होगा भारत को फायदा?
ग्रैंड थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर और फाइनेंशियल सर्विसेज रिस्क एडवाइजरी के लीडर विवेक अय्यर के अनुसार, 'एक बहुध्रुवीय दुनिया में जिंदा रहने और आगे बढ़ने के लिए हर समूह के साथ संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है। व्यापार के उद्देश्य से मुद्रा की मान्यता संबंध शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है।'
इंटरनेशनल बैंकिंग यूनिट्स गिफ्टी सिटी में स्थित ऐसी इकाइयां हैं जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाएं प्रदान करती हैं। वे विदेशी मुद्राओं में लेनदेन कर सकती हैं और भारतीय बैंकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने में मदद करती हैं। ऑफशोर चीनी युआन (सीएनएच) में लेनदेन की अनुमति मिलने से भारतीय बैंकों को चीन के साथ व्यापार करने वाले अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने में आसानी होगी। यह भारत को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम होगा।
गिफ्टी सिटी भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है, जो गुजरात में स्थित है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं के लिए प्रमुख केंद्र बनाना है। यहां आईबीयू को विशेष टैक्स छूट और अन्य सुविधाएं मिलती हैं ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। सीएनएच में लेनदेन की अनुमति इस केंद्र की क्षमताओं को और बढ़ाएगी।
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