नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस में सबसे पावरफुल माने जाने वाले एसएचओ यानी थाना प्रभारी की तैनाती के नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं। हेडक्वॉर्टर से जारी सर्कुलर के मुताबिक, अगर किसी एसएचओ को दो साल के नॉर्मल कार्यकाल से पहले किसी प्रशासनिक आधार पर हटाया जाता है तो वह इंस्पेक्टर फिर से एसएचओ बनने के लिए स्क्रीनिंग कमिटी के सामने अपनी इच्छा जाहिर करने का हकदार तो होगा। लेकिन अपने हटाए जाने के एक साल तक का 'वनवास' काटने के बाद ही उसे बुलाया जाएगा। स्क्रीनिंग कमिटी एसएचओ तैनात करने का बनाया था नियम कमिश्नर संजय अरोड़ा ने 2022 में स्क्रीनिंग कमिटी के जरिए एसएचओ तैनात का करने नियम बनाया था। इस कमिटी में दोनों जोन के स्पेशल सीपी, स्पेशल सीपी विजिलेंस और इंटेलिजेंस होते हैं। यह कमिटी 10 पैरामीटर्स के आधार पर इंटरव्यू लेती है, जो कुल 125 नंबर का होता है। इसमें 70 फीसदी या ज्यादा नंबर हासिल करने वाले इंस्पेक्टर्स को सिलेक्ट पैनल में रखा जाता है, जिनमें से ही एसएचओ बनाए जाते हैं। सबसे पहले स्क्रीनिंग के लिए दावेदार इंस्पेक्टर्स की एसएचओ बनने की इच्छा पूछी जाती है, जिसके लिए उन्हें हेडक्वॉर्टर बुलाया जाता है। क्या है नया सर्कुलर?डीसीपी (हेडक्वॉर्डर) जिमी चिरम की तरफ से 14 मई 2025 को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि मौजूदा एसएचओ और एक साल पहले अपनी इच्छा जाहिर कर चुके इंस्पेक्टर्स, जो एसएचओ नहीं बन सके, से भी दोबारा पूछा जाएगा कि क्या थाना प्रभारी बनने का इच्छुक है। इसके बाद स्क्रीनिंग कमिटी के सामने इंटरव्यू के लिए फाइनल लिस्ट तैयार होगी। इसी तरह किसी इंस्पेक्टर को दो साल के नॉर्मल कार्यकाल पूरा करने से पहले एसएचओ से हटाया जाता है तो वो एक साल बाद ही एसएचओ बनने की इच्छा जाहिर करने के लिए बुलाया जाएगा। पुलिस सूत्रों का कहना है कि एक इंस्पेक्टर को अधिकतम तीन साल तक एसएचओ बनाया जाता है। अगर कोई ढाई साल के कार्यकाल के बाद हट गया तो उसका नंबर फिर नहीं आता है। लेकिन अगर कोई इंस्पेक्टर दो साल 11 महीने का टर्म पूरा करने के बाद फिर से एसएचओ लग जाता है तो वह चार साल 11 महीने तक थाना प्रभारी बन सकता है। कई इंस्पेक्टर अपनी सेटिंग से इस तरह से 'लंबी पारी' खेलने में कामयाब हो रहे हैं। दूसरी तरफ कई इंस्पेक्टर्स महज दो साल तक ही एसएचओ बन पाते हैं। दिलचस्प है कि कुछ इंस्पेक्टर एसएचओ नहीं बनना चाहते हैं। ट्रैफिक से छीना ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकारपुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने ट्रैफिक पुलिस से सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर (SI) के इंटरनल ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार छीन लिए हैं। अब जॉइंट सीपी (हेडक्वॉर्टर) इसे देखेंगे। शनिवार को जारी सर्कुलर में लिखा गया है कि ट्रैफिक मैनेजमेंट डिविजन इसे समय पर और पारदर्शी तरीके से नहीं कर पा रहा था। पिछले महीने ही ट्रैफिक पुलिस में इंटरल ट्रांसफर के लिए एक अलग पुलिस एस्टेब्लिशमेंट बोर्ड (PEB) का गठन किया गया था। इसमें अडिशनल सीपी ट्रैफिक (हेडक्वॉर्टर), अडिशनल सीपी ट्रैफिक (जोन-1) और अडिशनल सीपी ट्रैफिक (जोन-2) को रखा गया था।
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