नई दिल्ली: कभी टैरिफ का दांव तो कभी रूस को लेकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को तगड़ा झटका लगा है। पहले तो भारत ने दो टूक कह दिया कि रूस से हमारी मजबूत सामरिक साझेदारी है। ये कई दशकों से चली आ रही। मोदी सरकार ने जिस तरह से अमेरिका को करारा जवाब दिया, उसके बाद ट्रंप ने रूस की कंपनियों पर सख्ती दिखाना शुरू किया। उन्होंने दो रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध भी लगाए। हालांकि, यहां भी ट्रंप का दाल गलती नहीं दिख रही। ऐसा इसलिए क्योंकि पुतिन ने पूरे मामले में जैसा रिएक्ट किया वो बेहद अहम है। एक तरह से रूसी राष्ट्रपति ने 'सेल्फ रेस्पेक्ट' दांव से भारत का ही संदेश देने की कोशिश की।
ट्रंप को भारत की खरी-खरी, अब पुतिन का मैसेज
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से यूएस प्रेसिडेंट ने कई ऐसे दावे किए जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। सबसे पहले ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। हालांकि, भारत ने इसे सीधे तौर पर नकार दिया। फिर ट्रंप ने दावा किया पीएम मोदी ने उनसे फोन कॉल पर बातचीत में रूस से तेल खरीद कम करने की बात कही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे भी खारिज करते हुए दो टूक कह दिया कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की कोई बातचीत ही नहीं हुई। भारत के सख्त रूख से परेशान ट्रंप प्रशासन ने रूस पर दबाव के लिए अहम फैसला लिया। हालांकि, पुतिन ने जैसी प्रतिक्रिया दी वो बेहद अहम है।
क्या बैकफुट पर आएगा यूएस प्रशासन
अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में रूस की तेल कंपनियों पर सख्ती बरतते हुए कई प्रतिबंध लगाए। उन्होंने दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका ने यह कदम तब उठाया है, जब ट्रंप और पुतिन की मुलाकात को लेकर चर्चा तेज हो रही थी। हालांकि, अब ये स्पष्ट हो गया कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच कोई मुलाकात नहीं होगी। बात इस पर भी हो रही थी कि जल्द ही ट्रंप और पीएम मोदी भी मिल सकते हैं। आसियान समिट में मुलाकात की बात हो रही थी। लेकिन पीएम मोदी अब इस समिट में वर्चुअली शामिल हो रहे। ऐसे में तय हो गया कि इस साल पीएम मोदी और ट्रंप की कोई मीटिंग के आसार नहीं हैं।
रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध तो पुतिन की दो टूक
इन घटनाक्रम के बीच ट्रंप के हर दांव को फेल करते हुए पुतिन ने अहम टिप्पणी की है। रूसी कंपनियों पर अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध पर पुतिन ने कहा कि कोई भी स्वाभिमानी देश दबाव में आकर कुछ नहीं करता। ये प्रतिबंध हमारे लिए गंभीर हैं, यह स्पष्ट है। इनके कुछ निश्चित परिणाम होंगे, लेकिन ये हमारी आर्थिक स्थिति पर कोई खास असर नहीं डालेंगे। ये प्रतिबंध एक अमित्रतापूर्ण कार्रवाई है जो रूस-अमेरिका संबंधों को मजबूत नहीं करती। रूस-अमेरिका के बीच के संबंध अभी-अभी ठीक होने शुरू हुए हैं।
पहले भी रूस पर प्रतिबंध लगाता रहा है अमेरिका
रूसी नेता ने कहा कि अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत में उन्होंने चेतावनी दी थी कि इन प्रतिबंधों का असर अमेरिका सहित वैश्विक तेल कीमतों पर पड़ेगा। राष्ट्रपति पुतिन ने याद दिलाया कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस पर अब तक के सबसे ज्यादा प्रतिबंध लगाए थे।
इन सभी प्रतिबंधों के दो पहलू हैं- राजनीतिक और आर्थिक। दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की ओर से रूस पर लगाया गया यह पहला प्रतिबंध है। अमेरिका रूस पर इन प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाना चाहता है ताकि यूक्रेन युद्ध को रोका जा सके।
पुतिन के 'सेल्फ रेस्पेक्ट' दांव पर क्या कहेगा भारत
हालांकि, पुतिन ने जिस तरह से ये टिप्पणी की है वो बेहद अहम है। भारत भी लगातार ट्रंप के दबाव बनाने वाले कूटनीतिक फैसलों पर बेहद संभलकर रिएक्ट कर रहा। पुतिन का कमेंट भी भारत का ही संदेश माना जा रहा। दरअसल, यूएस प्रशासन चाहता है कि भारत किसी भी तरह रूस से कच्चे तेल की खरीद को कम करे। हालांकि, भारत ने इससे इनकार कर दिया।
अब ट्रंप के रूस तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने से कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। ऐसे में भारत क्या रूस से तेल खरीद जारी रखेगा ये तो कीमतों पर निर्भर करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूसी तेल सस्ते रेट पर मिलते हैं। अगर रेट बढ़ते हैं भारत अलग फैसला ले सकता है। देखना दिलचस्प होगा ये पूरा घटनाक्रम आगे कौन सा मोड़ लेता है। ट्रंप की अगली रणनीति क्या रहने वाली है।
ट्रंप को भारत की खरी-खरी, अब पुतिन का मैसेज
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से यूएस प्रेसिडेंट ने कई ऐसे दावे किए जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। सबसे पहले ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। हालांकि, भारत ने इसे सीधे तौर पर नकार दिया। फिर ट्रंप ने दावा किया पीएम मोदी ने उनसे फोन कॉल पर बातचीत में रूस से तेल खरीद कम करने की बात कही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे भी खारिज करते हुए दो टूक कह दिया कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की कोई बातचीत ही नहीं हुई। भारत के सख्त रूख से परेशान ट्रंप प्रशासन ने रूस पर दबाव के लिए अहम फैसला लिया। हालांकि, पुतिन ने जैसी प्रतिक्रिया दी वो बेहद अहम है।
क्या बैकफुट पर आएगा यूएस प्रशासन
अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में रूस की तेल कंपनियों पर सख्ती बरतते हुए कई प्रतिबंध लगाए। उन्होंने दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका ने यह कदम तब उठाया है, जब ट्रंप और पुतिन की मुलाकात को लेकर चर्चा तेज हो रही थी। हालांकि, अब ये स्पष्ट हो गया कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच कोई मुलाकात नहीं होगी। बात इस पर भी हो रही थी कि जल्द ही ट्रंप और पीएम मोदी भी मिल सकते हैं। आसियान समिट में मुलाकात की बात हो रही थी। लेकिन पीएम मोदी अब इस समिट में वर्चुअली शामिल हो रहे। ऐसे में तय हो गया कि इस साल पीएम मोदी और ट्रंप की कोई मीटिंग के आसार नहीं हैं।
रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध तो पुतिन की दो टूक
इन घटनाक्रम के बीच ट्रंप के हर दांव को फेल करते हुए पुतिन ने अहम टिप्पणी की है। रूसी कंपनियों पर अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध पर पुतिन ने कहा कि कोई भी स्वाभिमानी देश दबाव में आकर कुछ नहीं करता। ये प्रतिबंध हमारे लिए गंभीर हैं, यह स्पष्ट है। इनके कुछ निश्चित परिणाम होंगे, लेकिन ये हमारी आर्थिक स्थिति पर कोई खास असर नहीं डालेंगे। ये प्रतिबंध एक अमित्रतापूर्ण कार्रवाई है जो रूस-अमेरिका संबंधों को मजबूत नहीं करती। रूस-अमेरिका के बीच के संबंध अभी-अभी ठीक होने शुरू हुए हैं।
पहले भी रूस पर प्रतिबंध लगाता रहा है अमेरिका
रूसी नेता ने कहा कि अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत में उन्होंने चेतावनी दी थी कि इन प्रतिबंधों का असर अमेरिका सहित वैश्विक तेल कीमतों पर पड़ेगा। राष्ट्रपति पुतिन ने याद दिलाया कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस पर अब तक के सबसे ज्यादा प्रतिबंध लगाए थे।
इन सभी प्रतिबंधों के दो पहलू हैं- राजनीतिक और आर्थिक। दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की ओर से रूस पर लगाया गया यह पहला प्रतिबंध है। अमेरिका रूस पर इन प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाना चाहता है ताकि यूक्रेन युद्ध को रोका जा सके।
पुतिन के 'सेल्फ रेस्पेक्ट' दांव पर क्या कहेगा भारत
हालांकि, पुतिन ने जिस तरह से ये टिप्पणी की है वो बेहद अहम है। भारत भी लगातार ट्रंप के दबाव बनाने वाले कूटनीतिक फैसलों पर बेहद संभलकर रिएक्ट कर रहा। पुतिन का कमेंट भी भारत का ही संदेश माना जा रहा। दरअसल, यूएस प्रशासन चाहता है कि भारत किसी भी तरह रूस से कच्चे तेल की खरीद को कम करे। हालांकि, भारत ने इससे इनकार कर दिया।
अब ट्रंप के रूस तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने से कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। ऐसे में भारत क्या रूस से तेल खरीद जारी रखेगा ये तो कीमतों पर निर्भर करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूसी तेल सस्ते रेट पर मिलते हैं। अगर रेट बढ़ते हैं भारत अलग फैसला ले सकता है। देखना दिलचस्प होगा ये पूरा घटनाक्रम आगे कौन सा मोड़ लेता है। ट्रंप की अगली रणनीति क्या रहने वाली है।
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