इस्लामाबाद: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बॉर्डर पर भीषण सैन्य संघर्ष देखने को मिला है। फिलहाल एक अस्थिर युद्धविराम के तहत पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लड़ाई रुक गई है लेकिन इस्लामाबाद में डर बरकरार है। इस डर की वजह नूर वली महसूद है। नूर वली महसूद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का नेता है। पाकिस्तान के हालिया घटनाक्रम और मुनीर सेना को घुटनों पर लाने में एक अहम नाम महसूद का है। पाक के हमले से बचने के बाद यह शख्स और उग्र हो सकता है।
पाकिस्तानी सेना ने पिछले हफ्ते काबुल में अपने हवाई हमले में एक बख्तरबंद टोयोटा लैंड क्रूजर को निशाना बनाया। पाक आर्मी को इस कार में टीटीपी नेता महसूद के होने की जानकारी मिली थी लेकिन हमला विफल रहा। इस हमले में महसूद बच गया। टीटीपी की ओर से ऑडियो संदेश के जरिए ये बताया गया कि महसूद पाकिस्तान के एयर स्ट्राइक से बच निकला है।
महसूद ने TTP को किया मजबूतपाकिस्तान ने काबुल में महसूद को निशाना बनाकर हवाई हमला किया। इसके बाद तालिबान बलों ने पाकिस्तान सीमा पर धावा बोल दिया। एक हफ्ते तक सीमा पर तोपखाने और ड्रोन से हमले किए गए। इसके बाद दोनों पक्ष युद्धविराम पर राजी हुए हैं। पाकिस्तान के गुस्से की वजह महसूद को पनाह का मुद्दा है। इस्लामाबाद ने अफगान तालिबान पर महसूद और टीटीपी लड़ाकों को पनाह देने का आरोप लगाया है। हालांकि अफगान तालिबान इससे इनकार करता है।
47 वर्षीय मौलवी नूर वली महसूद को टीटीपी को मजबूत करने और पाकिस्तान की नाम में दम करने के लिए जाना जाता है। महसूद ने 2018 में टीटीपी की कमान संभाली। उस वक्त यह गुट बिखरा हुआ था और इसके ज्यादातर बड़े नेता अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारे गए थे। महसूद ने गुट को इकट्ठा करने के साथ ही रणनीति भी बदली। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत महसूद ने नागरिकों पर हमलों में कमी की और पाक आर्मी और सुरक्षाबलों पर हमले बढ़ा दिए।
किताबें लिख चुका है महसूदपाक-अफगान सीमा पर सक्रिय दूसरों गुटों के मुकाबले टीटीपी को तेजी से बढ़त मिलने की वजह महसूद का नेतृत्व माना जाता है। महसूद की पहचान अपने लोगों में एक पढ़े लिखे व्यक्ति की है। वह कई किताबों के लेखक हैं, जिनमें इंकलाब-ए-महसूद (द महसूद रिवोल्यूशन) भी शामिल है, जो उनके आंदोलन को उपनिवेश-विरोधी प्रतिरोध से जोड़ने वाला 700 पन्नों का विवरण है।
साल 2021 में तालिबान के काबुल की सत्ता पर कब्जे के बाद से महसूद की टीटीपी ने रफ्तार पकड़ी है। पाकिस्तान का दावा है कि इस समूह ने उसकी जमीन पर लगभग हर रोज हमले किए हैं। महसूद को खत्म करने के लिए पाक ने काबुल में मारने की कोशिश की। हालांकि हमले से बचने के बाद महसूद पाकिस्तान पर और भी ज्यादा आक्रामक हो सकता है। इससे आने वाले समय में पाकिस्तान के लिए संकट और बढ़ सकता है।
पाकिस्तानी सेना ने पिछले हफ्ते काबुल में अपने हवाई हमले में एक बख्तरबंद टोयोटा लैंड क्रूजर को निशाना बनाया। पाक आर्मी को इस कार में टीटीपी नेता महसूद के होने की जानकारी मिली थी लेकिन हमला विफल रहा। इस हमले में महसूद बच गया। टीटीपी की ओर से ऑडियो संदेश के जरिए ये बताया गया कि महसूद पाकिस्तान के एयर स्ट्राइक से बच निकला है।
महसूद ने TTP को किया मजबूतपाकिस्तान ने काबुल में महसूद को निशाना बनाकर हवाई हमला किया। इसके बाद तालिबान बलों ने पाकिस्तान सीमा पर धावा बोल दिया। एक हफ्ते तक सीमा पर तोपखाने और ड्रोन से हमले किए गए। इसके बाद दोनों पक्ष युद्धविराम पर राजी हुए हैं। पाकिस्तान के गुस्से की वजह महसूद को पनाह का मुद्दा है। इस्लामाबाद ने अफगान तालिबान पर महसूद और टीटीपी लड़ाकों को पनाह देने का आरोप लगाया है। हालांकि अफगान तालिबान इससे इनकार करता है।
47 वर्षीय मौलवी नूर वली महसूद को टीटीपी को मजबूत करने और पाकिस्तान की नाम में दम करने के लिए जाना जाता है। महसूद ने 2018 में टीटीपी की कमान संभाली। उस वक्त यह गुट बिखरा हुआ था और इसके ज्यादातर बड़े नेता अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारे गए थे। महसूद ने गुट को इकट्ठा करने के साथ ही रणनीति भी बदली। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत महसूद ने नागरिकों पर हमलों में कमी की और पाक आर्मी और सुरक्षाबलों पर हमले बढ़ा दिए।
किताबें लिख चुका है महसूदपाक-अफगान सीमा पर सक्रिय दूसरों गुटों के मुकाबले टीटीपी को तेजी से बढ़त मिलने की वजह महसूद का नेतृत्व माना जाता है। महसूद की पहचान अपने लोगों में एक पढ़े लिखे व्यक्ति की है। वह कई किताबों के लेखक हैं, जिनमें इंकलाब-ए-महसूद (द महसूद रिवोल्यूशन) भी शामिल है, जो उनके आंदोलन को उपनिवेश-विरोधी प्रतिरोध से जोड़ने वाला 700 पन्नों का विवरण है।
साल 2021 में तालिबान के काबुल की सत्ता पर कब्जे के बाद से महसूद की टीटीपी ने रफ्तार पकड़ी है। पाकिस्तान का दावा है कि इस समूह ने उसकी जमीन पर लगभग हर रोज हमले किए हैं। महसूद को खत्म करने के लिए पाक ने काबुल में मारने की कोशिश की। हालांकि हमले से बचने के बाद महसूद पाकिस्तान पर और भी ज्यादा आक्रामक हो सकता है। इससे आने वाले समय में पाकिस्तान के लिए संकट और बढ़ सकता है।
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