नई दिल्ली: भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास की सबसे अद्भुत रात आ चुकी है। जिस घड़ी के लिए देश की हर बेटी ने सपना देखा, जिस विश्व कप के खिताब को छूने की ख्वाहिश सालों से दिल में पल रही थी... वो सपना, वो पल हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में सच हो गया। लंबी निराशाओं, टूटे हुए ख्वाबों और कड़े संघर्षों के बाद भारत की 'विमेन इन ब्लू' ने आखिरकार विश्व पटल पर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है। क्रिकेट एक टीम का खेल है। मैदान पर 11 शूरवीर अपना खून-पसीना एक करते हैं। लेकिन जब विजय का शंखनाद होता है, तो सबसे पहले उस महान योद्धा का नाम गूंजता है, जिसने सेना का नेतृत्व किया। जब-जब भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम इतिहास का जिक्र होगा, 1983 की विजयगाथा में कपिल देव का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। ठीक वैसे ही, जब महिला क्रिकेट की बात होगी तो हर भारतीय की जुबान पर एक ही नाम होगा- हरमनप्रीत कौर।
पिता बनाना चाहते थे हरमनप्रीत को एथलीट
क्रिकेट के मैदान पर हरमनप्रीत कौर की सफलता में उनकी पिता का सबसे बड़ा योगदान है। पंजाब के मोगा के हरमंदर सिंह भुल्लर के घर में 1989 में हरमनप्रीत कौर का जन्म हुआ था। हरमंदर सिंह भुल्लर जिला अदालत में क्लर्क और पार्ट टाइम क्लब क्रिकेटर थे। उन्होंने समाज की परवाह किए बिना हरमनप्रीत को क्रिकेट बनने में मदद की। उन्होंने एक बार कहा था, 'मैंने उसे बेटे की तरह पाला, क्योंकि मैं चाहता था कि वह एक ऐसी एथलीट बने जो मैं नहीं बन सका।' यही शांत और अडिग चुनौती हरमनप्रीत के खेल की नींव बन गई।
कोच ने पहचानी हरमन की काबिलियत
हरमनप्रीत कौर की क्रिकेटिंग जर्नी में उनके कोच कमलदीप सिंह सोढ़ी का भी अहम रोल रहा है। सोढ़ी ने ही सबसे पहले हरमनप्रीत कौर के टैलेंड को पहचाना था। मॉर्निंग वॉक के दौरान उन्होंने एक लड़की को बॉलिंग करते देखा। कमलदीप के अनुसार उन्होंने कभी किसी लड़की की इतनी गति से बॉलिंग करते नहीं देखा था। कोचिंग शुरू होने के बाद हरमनप्रीत कौर ने बल्लेबाजी अपनी छाप छोड़ी। सोढ़ी की एकेडमी मोगा से 30 किमी दूर थी। उन्होंने हरमनप्रीत के पिता को वहां ट्रेनिंग के लिए भेजने के लिए राजी कर लिया। पिता हरमंदर सिंह भुल्लर स्कूल की फीस को लेकर चिंतित थे, लेकिन कमलदीश ने कहा कि वह इसका ध्यान रखेंगे। यही से हरमनप्रीत कौर के क्रिकेटिंग करियर की शुरुआत हुई।
लड़कों के साथ खेलती थी क्रिकेट
शुरुआत में हरमनप्रीत कौर लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थी। यही वजह है कि वह लंबे-लंबे छक्के मारती हैं। एक बार पटियाला में एक मैच के दौरान, उसने इतना लंबा छक्का मारा कि पास के एक घर की खिड़कियां टूट गईं। घर के मालिक गुस्से में बाहर आए और पूछने लगे कि ये शरारत किसने की। जब मैंने उन्हें बताया कि एक छोटी बच्ची ने छक्का मारा है तो उन्होंने भी तारीफ की और शांत हो गए।
2009 में हरमनप्रीत कौर ने भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया। जल्द ही वह टीम की सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बन गईं। अभी तक हरमन ने अपने करियर में 6 टेस्ट के अलावा 161 वनडे और 182 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। वनडे में उनके नाम 37 की औसत से 4409 रन और 31 विकेट हैं। टी20 इंटरनेशनल में 3654 रन के अलावा 32 विकेट हैं। उनकी कप्तानी में मुंबई इंडियंस ने दो बार महिला आईपीएल का खिताब भी जीता है।
पिता बनाना चाहते थे हरमनप्रीत को एथलीट
क्रिकेट के मैदान पर हरमनप्रीत कौर की सफलता में उनकी पिता का सबसे बड़ा योगदान है। पंजाब के मोगा के हरमंदर सिंह भुल्लर के घर में 1989 में हरमनप्रीत कौर का जन्म हुआ था। हरमंदर सिंह भुल्लर जिला अदालत में क्लर्क और पार्ट टाइम क्लब क्रिकेटर थे। उन्होंने समाज की परवाह किए बिना हरमनप्रीत को क्रिकेट बनने में मदद की। उन्होंने एक बार कहा था, 'मैंने उसे बेटे की तरह पाला, क्योंकि मैं चाहता था कि वह एक ऐसी एथलीट बने जो मैं नहीं बन सका।' यही शांत और अडिग चुनौती हरमनप्रीत के खेल की नींव बन गई।
कोच ने पहचानी हरमन की काबिलियत
हरमनप्रीत कौर की क्रिकेटिंग जर्नी में उनके कोच कमलदीप सिंह सोढ़ी का भी अहम रोल रहा है। सोढ़ी ने ही सबसे पहले हरमनप्रीत कौर के टैलेंड को पहचाना था। मॉर्निंग वॉक के दौरान उन्होंने एक लड़की को बॉलिंग करते देखा। कमलदीप के अनुसार उन्होंने कभी किसी लड़की की इतनी गति से बॉलिंग करते नहीं देखा था। कोचिंग शुरू होने के बाद हरमनप्रीत कौर ने बल्लेबाजी अपनी छाप छोड़ी। सोढ़ी की एकेडमी मोगा से 30 किमी दूर थी। उन्होंने हरमनप्रीत के पिता को वहां ट्रेनिंग के लिए भेजने के लिए राजी कर लिया। पिता हरमंदर सिंह भुल्लर स्कूल की फीस को लेकर चिंतित थे, लेकिन कमलदीश ने कहा कि वह इसका ध्यान रखेंगे। यही से हरमनप्रीत कौर के क्रिकेटिंग करियर की शुरुआत हुई।
लड़कों के साथ खेलती थी क्रिकेट
शुरुआत में हरमनप्रीत कौर लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थी। यही वजह है कि वह लंबे-लंबे छक्के मारती हैं। एक बार पटियाला में एक मैच के दौरान, उसने इतना लंबा छक्का मारा कि पास के एक घर की खिड़कियां टूट गईं। घर के मालिक गुस्से में बाहर आए और पूछने लगे कि ये शरारत किसने की। जब मैंने उन्हें बताया कि एक छोटी बच्ची ने छक्का मारा है तो उन्होंने भी तारीफ की और शांत हो गए।
2009 में हरमनप्रीत कौर ने भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया। जल्द ही वह टीम की सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बन गईं। अभी तक हरमन ने अपने करियर में 6 टेस्ट के अलावा 161 वनडे और 182 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। वनडे में उनके नाम 37 की औसत से 4409 रन और 31 विकेट हैं। टी20 इंटरनेशनल में 3654 रन के अलावा 32 विकेट हैं। उनकी कप्तानी में मुंबई इंडियंस ने दो बार महिला आईपीएल का खिताब भी जीता है।
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