छतरपुर: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तेज गेंदबाज क्रांति गौड़ महिला वर्ल्ड कप 2025 में धूम मचा रही हैं। पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए मैच से सुर्खियों में आई क्रांति की कहानी बेहद संघर्ष भरी है। क्रांति गौड़ अब तक वर्ल्ड कप में 9 विकेट ले चुकी है। क्रांति ने सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एलिसा हीली का बड़ा विकेट लिया। हीली इ समय वर्ल्ड क्रिकेट की सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में एक मानी जाती हैं।
गली क्रिकेट से लेकर वर्ल्ड कप का सफर
छतरपुर जिले के छोटे से कस्बे घुवारा की रहने वाली 22 साल की क्रांति गौड़ का बचपन बेहद संघर्ष पूर्ण रहा है। क्रांति के पिता मुन्ना सिंह गौड़ आरक्षक थे और एक विभागीय लापरवाही के चलते उनकी नौकरी चली गई थी। क्रांति को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था क्रांति के घर के सामने ही एक छोटा सा खेल मैदान है जिसमे क्रांति अपने दोस्तों के साथ टेनिस गेंद से खेलती थी। जिस ग्राउंड में क्रांति बचपन में खेलती थी उस में सीमेंट का विकेट और कच्ची पिच बनी हुई है।
क्रांति के साथ खेलने वाले बचपन की दोस्त राजेश रजक कहा, 'क्रांति को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था क्रांति हम सबसे कई साल छोटी है। लेकिन उसकी गेंद डालने की रफ्तार बहुत तेज है, जिसके सामने आसपास के कई बड़े से बड़े खिलाड़ी नहीं देख पाए। आसपास के कई जिलों के खिलाड़ी उसके पेस के सामने नतमस्तक हो जाते थे। अपनी उम्र से कई बड़े खिलाड़ियों की विकेट क्रांति पलक झपकते ही उड़ा देती थी। हम सबको इस बात का गर्व है कि आज क्रांति देश के लिए खेल रही है और हमें उम्मीद है कि वर्ल्ड कप भारतीय टीम ही जीत कर लाएगी।'
भाई और मां ने क्या कहा?
क्रांति के भाई लोकपाल सिंह बताते हैं की क्रांति उनसे 9 साल छोटी है क्रांति को बचपन से ही क्रिकेट का बहुत शौक रहा है। क्रांति तेज रफ्तार के साथ गेंद फेंकती थी। घर के सामने ही एक छोटा सा मैदान है जहां पर क्रांति अपने अन्य दोस्तों के साथ प्रैक्टिस करती रहती थी। हम सबको बहुत गर्व है कि आज क्रांति गांव से निकलकर देश के लिए खेल रही है|
क्रांति की बड़ी बहन रोशनी सिंह बेहद खुश है। उन्हें उम्मीद है की क्रांति भारत के लिए वर्ल्ड कप जीत कर लाएगी क्रांति का पूरा परिवार न सिर्फ खुश है बल्कि इस बात की उम्मीद लगा कर बैठा है कि क्रांति की गेंदबाजी भारत को फाइनल में भी जीत दर्ज करने में मदद करेगी। क्रांति की मां नीलम सिंह बताती है कि पिता की नौकरी जाने के बाद हम सब ने किस तरह से मजदूरी और संघर्ष करते हुए परिवार का भरण पोषण किया। हमें उम्मीद है कि अब क्रांति फाइनल में जीत लेगी। अब हमारे संघर्ष के दिन खत्म हो गए हैं।
गली क्रिकेट से लेकर वर्ल्ड कप का सफर
छतरपुर जिले के छोटे से कस्बे घुवारा की रहने वाली 22 साल की क्रांति गौड़ का बचपन बेहद संघर्ष पूर्ण रहा है। क्रांति के पिता मुन्ना सिंह गौड़ आरक्षक थे और एक विभागीय लापरवाही के चलते उनकी नौकरी चली गई थी। क्रांति को बचपन से ही क्रिकेट का शौक था क्रांति के घर के सामने ही एक छोटा सा खेल मैदान है जिसमे क्रांति अपने दोस्तों के साथ टेनिस गेंद से खेलती थी। जिस ग्राउंड में क्रांति बचपन में खेलती थी उस में सीमेंट का विकेट और कच्ची पिच बनी हुई है।
क्रांति के साथ खेलने वाले बचपन की दोस्त राजेश रजक कहा, 'क्रांति को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था क्रांति हम सबसे कई साल छोटी है। लेकिन उसकी गेंद डालने की रफ्तार बहुत तेज है, जिसके सामने आसपास के कई बड़े से बड़े खिलाड़ी नहीं देख पाए। आसपास के कई जिलों के खिलाड़ी उसके पेस के सामने नतमस्तक हो जाते थे। अपनी उम्र से कई बड़े खिलाड़ियों की विकेट क्रांति पलक झपकते ही उड़ा देती थी। हम सबको इस बात का गर्व है कि आज क्रांति देश के लिए खेल रही है और हमें उम्मीद है कि वर्ल्ड कप भारतीय टीम ही जीत कर लाएगी।'
भाई और मां ने क्या कहा?
क्रांति के भाई लोकपाल सिंह बताते हैं की क्रांति उनसे 9 साल छोटी है क्रांति को बचपन से ही क्रिकेट का बहुत शौक रहा है। क्रांति तेज रफ्तार के साथ गेंद फेंकती थी। घर के सामने ही एक छोटा सा मैदान है जहां पर क्रांति अपने अन्य दोस्तों के साथ प्रैक्टिस करती रहती थी। हम सबको बहुत गर्व है कि आज क्रांति गांव से निकलकर देश के लिए खेल रही है|
क्रांति की बड़ी बहन रोशनी सिंह बेहद खुश है। उन्हें उम्मीद है की क्रांति भारत के लिए वर्ल्ड कप जीत कर लाएगी क्रांति का पूरा परिवार न सिर्फ खुश है बल्कि इस बात की उम्मीद लगा कर बैठा है कि क्रांति की गेंदबाजी भारत को फाइनल में भी जीत दर्ज करने में मदद करेगी। क्रांति की मां नीलम सिंह बताती है कि पिता की नौकरी जाने के बाद हम सब ने किस तरह से मजदूरी और संघर्ष करते हुए परिवार का भरण पोषण किया। हमें उम्मीद है कि अब क्रांति फाइनल में जीत लेगी। अब हमारे संघर्ष के दिन खत्म हो गए हैं।
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