Sharad Purnima 2025 : साल में एक रात ऐसी आती है जब आसमान का चांद अपनी16कलाओं से पूरा होता है,जब धरती उसके सबसे करीब होती है,और जब उसकी दूधिया रोशनी में अमृत के गुण समा जाते हैं। यह जादुई और पवित्र रात हैशरद पूर्णिमाकी!यह वो रात है जिसका हम सब बेसब्री से इंतजार करते हैं,जब घरों की छतों पर चांदी के बर्तनों में खीर बनाकर रखी जाती है,इस उम्मीद और विश्वास के साथ कि चांद की किरणें इस खीर को‘अमृत’बना देंगी।लेकिन इस साल,तिथियों के फेर के कारण लोगों के मन में थोड़ा कन्फ्यूजन है कि आखिर शरद पूर्णिमा है कब? 5अक्टूबर को या6अक्टूबर को?दूर कर लें सारा कन्फ्यूजन: यह है सही तारीख और समयशरद पूर्णिमा की सही तारीख:इस साल शरद पूर्णिमा का व्रत और उत्सव6अक्टूबर2025,सोमवारको मनाया जाएगा।पूर्णिमा तिथि कब से कब तक:पूर्णिमा तिथि5अक्टूबर की रात09:51से शुरू होगी और6अक्टूबर की रात11:21पर समाप्त होगी।तो6अक्टूबर ही क्यों?हिंदू धर्म में कोई भी त्योहार उदया तिथि (सूर्योदय के समय जो तिथि हो) के अनुसार मनाया जाता है।6अक्टूबर को ही उदया तिथि में पूर्णिमा है और चांद भी पूरी रात पूर्णिमा का ही रहेगा। इसलिएव्रत रखने और खीर बनाने के लिए6अक्टूबर का दिन ही सबसे उत्तम है।क्यों है इस रात की खीर‘चमत्कारी’?इसके पीछे सिर्फ आस्था ही नहीं,बल्कि विज्ञान भी है।आस्था कहती है:शरद पूर्णिमा की रात को ही माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था,भगवान कृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था और इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है।विज्ञान कहता है:इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है,जिससे उसकी किरणों का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। जब खीर को चांदी के बर्तन में रखा जाता है,तो चांदी (जो एक जीवाणुरोधी धातु है) के गुण भी उसमें आ जाते हैं और यह खीर सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बन जाती है।माना जाता है कि यह खीर आंखों की रोशनी बढ़ाने,त्वचा में निखार लाने और सांस (अस्थमा) से जुड़ी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होती है।कैसे रखें छत पर खीर? (सबसे सरल विधि)शाम को गाय के दूध में चावल और मिश्री डालकर खीर बनाएं।इसे किसी चांदी,मिट्टी या कांसे के बर्तन में निकालें।अब बर्तन को एक पतले जालीदार कपड़े से ढक दें ताकि उसमें कुछ गिरे नहीं,पर चांद की रोशनी सीधी पड़े।इसे6अक्टूबर की रात को अपनी छत या बालकनी में ऐसी जगह रखें जहां चांद की रोशनी सबसे ज्यादा आती हो। इसे कम से कम3-4घंटे रखें।अगली सुबह,इस‘अमृत’वाली खीर को सबसे पहले माँ लक्ष्मी को भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में पूरे परिवार के साथ खाएं।तो, 6अक्टूबर को यह मौका बिल्कुल भी न चूकें और इस दिव्य रात का पूरा लाभ उठाएं।
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