मध्य प्रदेश के इंदौर की एक महिला ने तलाक के बाद भरण-पोषण की रकम पाने के लिए अपने पति के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की। इस मामले में पारिवारिक अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए महिला की अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने महिला की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि चूंकि महिला पेशे से डॉक्टर है और अपने पति के समान ही शिक्षित है, इसलिए उसे गुजारा भत्ता देने की कोई जरूरत नहीं है।
डॉक्टर महिला के मामले में कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा पति-पत्नी दोनों ही पेशे से डॉक्टर हैं। महिला डॉक्टर स्वयं बीडीएस और एमडीएस हैं। उनके पास करोड़ों की संपत्ति है और वह हर महीने हजारों रुपए कमाती हैं। महिला का वेतन लगभग उसके पति के बराबर है। ऐसी स्थिति में पत्नी को भरण-पोषण भत्ता देने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए अदालत ने महिला डॉक्टर की अर्जी खारिज कर दी।
15 लाख रुपए की लागत से खोला गया क्लिनिक 36 लाख
महिला के पति का केस वकील योगेश गुप्ता ने लड़ा। उन्होंने अदालत में दस्तावेज पेश किये। योगेश गुप्ता ने अदालत को बताया कि महिला डॉक्टर अपने पति के साथ रहती थी। तब वह एक अच्छा जीवन जी रहा था। दोनों सुखी जीवन जी रहे थे। महिला के पति ने 36 लाख रुपए लगाकर उसके लिए क्लिनिक बनवाया। इतना ही नहीं, डॉक्टर के वकील ने उनकी पत्नी के आयकर संबंधी दस्तावेज भी अदालत के समक्ष पेश किए।
वह 71 हजार रुपये से अधिक कमाती हैं।
उनकी डॉक्टर पत्नी के टैक्स दस्तावेजों में उनकी वार्षिक आय 8 लाख से अधिक बताई गई, जिसके अनुसार वह हर महीने 71 हजार रुपए से अधिक कमाती हैं। इस आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला डॉक्टर अपने पति के बराबर शिक्षित है और उसके बराबर ही कमाती है। इसके अलावा इंदौर शहर में भी उनकी करोड़ों की संपत्ति है। इस प्रकार, उन्हें रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती। महिला डॉक्टर का पति केरल से है, जबकि महिला खुद मध्य प्रदेश से है।
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