राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर सिर्फ बाघों के लिए नहीं, बल्कि यहां के एक खास मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है—त्रिनेत्र गणेश मंदिर। यह मंदिर भारत का इकलौता ऐसा गणेश मंदिर माना जाता है, जहां भक्त अपने दुख-दर्द, इच्छाएं और अरमान 'चिट्ठियों' के जरिए भगवान गणेश को भेजते हैं। हर दिन हजारों चिट्ठियां देश के कोने-कोने से यहां आती हैं, जो मंदिर में विधिवत तरीके से गणपति बप्पा को अर्पित की जाती हैं।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर का इतिहासरणथंभौर किले के भीतर स्थित यह मंदिर करीब 700 साल पुराना है। इसे 1299 ईस्वी में रणथंभौर के राजा हम्मीर देव चौहान ने बनवाया था। इतिहासकारों के अनुसार, जब अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने रणथंभौर पर हमला किया था, तब राजा हम्मीर ने भगवान गणेश से युद्ध में जीत की प्रार्थना की थी। उसी रात उन्हें स्वप्न में भगवान गणेश ने दर्शन दिए और युद्ध जीतने का आशीर्वाद दिया। अगले ही दिन, किले की दीवार पर गणेश जी की तीन आंखों वाली (त्रिनेत्र) मूर्ति प्रकट हुई। राजा ने इस स्थान पर मंदिर बनवाया और तभी से यहां पूजा का सिलसिला शुरू हुआ।
भगवान को चिट्ठी लिखने की परंपराइस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां भक्त अपने मन की बात चिट्ठी के जरिए बप्पा तक पहुंचाते हैं। कोई नौकरी की अर्जी भेजता है, तो कोई विवाह की मन्नत। कुछ लोग अपनी समस्याएं बताते हैं, तो कुछ सिर्फ आभार जताते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और यह मंदिर हजारों चिट्ठियां प्रतिदिन प्राप्त करता है। कई लोग खुद आकर चिट्ठी चढ़ाते हैं, जबकि बहुत से लोग डाक द्वारा पत्र भेजते हैं, जो सीधे मंदिर के पते पर पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचे त्रिनेत्र गणेश मंदिर?त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर किले के अंदर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए आपको सवाई माधोपुर जिले तक आना होगा।
-
रेल मार्ग: सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन राजस्थान के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है और देश के कई शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है।
-
सड़क मार्ग: जयपुर, कोटा, दिल्ली और आगरा जैसे शहरों से बस या टैक्सी द्वारा सवाई माधोपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
-
रणथंभौर किला: सवाई माधोपुर से रणथंभौर किला करीब 11 किलोमीटर दूर है। किले की चढ़ाई करीब 1.5 किमी पैदल करनी पड़ती है।
-
मंदिर का समय: मंदिर सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। विशेष पर्वों पर विशेष आरती और मेला लगता है।
-
गणेश जी की तीन आंखों वाली मूर्ति, जो कहीं और नहीं मिलती।
-
भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाला स्थल।
-
हर बुधवार और गणेश चतुर्थी पर विशाल भंडारे और विशेष पूजा।
निष्कर्ष: त्रिनेत्र गणेश मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक भावनात्मक रिश्ता भी है, जहां लोग अपने 'बप्पा' को चिट्ठी लिखते हैं। यह परंपरा भक्तों की श्रद्धा, विश्वास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।
You may also like
Kerala SSLC Result 2025 to Be Declared on May 9, Confirms Education Minister V Sivankutty
एक महीने से स्कूल नहीं जा रही थी 12वीं क्लास की छात्रा, नाना ने पूछा कारण तो खिसक गई पैरों तले की जमीन
IPL 2025: कुलदीप यादव ने बीच मैदान रिंकू सिंह मार दिया थप्पड़, फिर बातों ही बातों में.....वीडियो हो गया वायरल
Video: माँ बनी जल्लाद, छोटे बच्चे पर बरसाए लात घूंसे, रोता बिलखता रहा, तब भी नहीं रुकी, वीडियो वायरल
Honor 400 and 400 Pro Receive 3C Certification in China; Key Specifications Leaked Ahead of Launch