कोलकाता । पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को राज्य के मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार उनकी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। जैन समुदाय द्वारा आयोजित विश्व नवकार महामंत्र दिवस के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए ममता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और राज्य में एकता बनाए रखने की वकालत की।
ममता ने अपने संबोधन में कहा, “हम बंगाल में वक्फ बिल लागू नहीं होने देंगे। मेरी सरकार धार्मिक आधार पर बंगाल का विभाजन नहीं होने देगी। मैं जानती हूं कि वक्फ अधिनियम के लागू होने से आप दुखी हैं, मगर भरोसा रखें, बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा। बंगाल में फूट डालो और राज करो की नीति नहीं चलेगी। आपको जियो और जीने दो का संदेश देना चाहिए। बंगाल में रहने वालों को सुरक्षा देना हमारा काम है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि अगर कोई आपको राजनीतिक रूप से इकट्ठा होने के लिए उकसाता है, तो कृपया ऐसा न करें। कृपया याद रखें कि दीदी आपकी और आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगी। अगर हम साथ रहेंगे, तो हम दुनिया जीत सकते हैं।”
सीएम बनर्जी ने आगे कहा, “कुछ लोग पूछते हैं कि मैं सभी धर्मों के स्थानों पर क्यों जाती हूं। मैंने कहा कि मैं अपने पूरे जीवनकाल में वहां जाती रहूंगी। भले ही आप मुझे गोली मार दें, आप मुझे एकता से अलग नहीं कर पाएंगे। बांग्लादेश की स्थिति देखिए, मेरा मानना है कि इसे अभी पारित नहीं किया जाना चाहिए था। बंगाल में विभाजन नहीं होगा, जियो और जीने दो। अगर किसी को मेरी संपत्ति लेने का अधिकार नहीं है, तो मैं कैसे कह सकती हूं कि किसी और की संपत्ति ली जा सकती है? हमें 30 फीसदी (मुसलमानों) को साथ लेकर चलना होगा। याद रखिए, दीदी आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगी।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा उद्देश्य जोड़ना है, बांटना नहीं। जब हम एकजुट रहेंगे, तो देश आगे बढ़ेगा। हमारी नीति है कि जियो और जीने दो। कुछ लोग बंगाल को बदनाम कर रहे हैं, कह रहे हैं कि मैं राज्य में हिंदू धर्म को संरक्षण नहीं देती। फिर सबको संरक्षण कौन देता है? मुझे बंगाल के अल्पसंख्यकों को श्रेय देना चाहिए जो राज्य में हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि यह बंगाल है और हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।”
आपको बता दें, संसद के दोनों सदनों से बजट सत्र में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है और यह कानून देश में लागू हो गया है। विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद लोकसभा ने 3 अप्रैल को और राज्यसभा ने 4 अप्रैल को इसे मंजूरी प्रदान की। लोकसभा में इसके समर्थन में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे जबकि ऊपरी सदन में इसके पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े।
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