जयपुर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News). अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एटीएस एवं एसओजी Rajasthan, जयपुर के निर्देशन में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने फर्जी और कूटरचित शैक्षणिक दस्तावेज तैयार करने वाले ₹25,000 के ईनामी अपराधी सौरभ सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी लंबे समय से फरार चल रहा था और विभिन्न राज्यों में बेरोजगार युवाओं से सरकारी नौकरी का झांसा देकर ठगी कर रहा था.
Indian डाक विभाग, अजमेर मंडल के प्रवर अधीक्षक ने रिपोर्ट दी थी कि GDS Online Engagement 2023 Schedule-II के तहत भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थी लोकेश यादव ने Council for the Indian School Certificate Examination, New Delhi की कथित 10वीं की अंकतालिका के साथ आवेदन किया था. जब विभाग ने अंकतालिका का सत्यापन करवाया, तो संबंधित बोर्ड ने इसे फर्जी बताया.
इस पर प्रकरण संख्या 38/2024, दिनांक 31 मई 2024 को थाना अजमेर में धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी भादस के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. जांच में लोकेश यादव, विकास कुमार यादव और हितेश यादव को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने पूछताछ में बताया कि यह फर्जी मार्कशीट सौरभ सिंह (30 वर्ष), पुत्र सतपाल सिंह, निवासी गणियार जिला महेन्द्रगढ़, Haryana की रेवाड़ी स्थित ई-मित्र दुकान से ₹35,000 में बनवाई थी. पुलिस को सूचना मिली थी कि सौरभ सिंह पिछले एक वर्ष से फरार है. एटीएस एवं एसओजी के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उसकी गिरफ्तारी के लिए ₹25,000 का इनाम घोषित किया गया था.
दिनांक 13 अक्टूबर 2025 को पुलिस ने उसे दबोच लिया. उसके कब्जे से एक एचपी लैपटॉप, विवो मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव और विभिन्न विश्वविद्यालयों के फर्जी अंकपत्र व प्रमाणपत्र बरामद किए गए.
आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का लालच देकर उनसे पैसे लेता था और फिर अपने लैपटॉप पर विश्वविद्यालयों के लोगो, क्यूआर कोड, मोहर और अधिकारियों के स्कैन किए गए हस्ताक्षर का उपयोग कर रंगीन फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करता था.
प्रारंभिक अनुसंधान से पता चला है कि सौरभ सिंह ने Haryana, Punjab, Rajasthan और Madhya Pradesh सहित कई राज्यों में बेरोजगार युवाओं से ठगी की है. उसके लैपटॉप और हार्ड डिस्क में सैकड़ों फर्जी दस्तावेज मिले हैं जो असली विश्वविद्यालयों द्वारा जारी प्रमाणपत्रों की तरह दिखते हैं. सौरभ सिंह ने अपने साथियों के साथ एक गैंग बना रखी थी, जो युवाओं से संपर्क कर उन्हें झांसे में लेते और पैसे लेकर फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज दिलवाते थे. अभियुक्त को न्यायालय में पेश कर 17 अक्टूबर 2025 तक पुलिस रिमांड पर लिया गया है, ताकि अन्य सहयोगियों और ठगी के नेटवर्क का खुलासा किया जा सके.
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