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Vastu For House : वास्तु के अनुसार इन घरों में रहना बन सकता है दुर्भाग्य की वजह

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Vastu For House : घर सिर्फ दीवारों और छत का ढांचा नहीं होता, बल्कि यह हमारे जीवन की ऊर्जा और सुख-शांति का केंद्र होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, जिस घर या भूमि में हम रहते हैं, उसका आकार, दिशा और आसपास का वातावरण हमारी खुशियों, सेहत और समृद्धि पर गहरा असर डालता है।

कई बार लोग बिना वास्तु पर ध्यान दिए कोई भी घर या प्लॉट खरीद लेते हैं, जिसका परिणाम धीरे-धीरे जीवन में नकारात्मक रूप में दिखने लगता है।

जमीन का आकार क्यों होता है महत्वपूर्ण

वास्तु शास्त्र में भूमि का आकार सबसे अहम माना गया है। यदि आपका प्लॉट वर्गाकार (square) या आयताकार (rectangular) है, तो यह सबसे शुभ माना जाता है।

ऐसे घर में रहने से व्यक्ति की आयु, धन और वैभव में वृद्धि होती है। परिवार में प्रेम और स्थिरता बनी रहती है।

लेकिन अगर आपके प्लॉट का आकार अनियमित है, जैसे कि किसी कोने से कटा हुआ, तिरछा या असमान, तो यह वास्तु दोष का संकेत माना जाता है।

ऐसी भूमि पर बने घरों में रहने वालों को बार-बार आर्थिक संकट, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ सकता है।

इन आकारों की जमीनों से रखें दूरी

अगर आपकी जमीन त्रिकोणीय (triangular), हीरे के आकार (diamond-shaped) या पांच कोनों वाली (pentagon-shaped) है, तो यह वास्तु के हिसाब से अशुभ मानी जाती है। इन आकृतियों की भूमि पर घर बनाने या रहने से जीवन में दुख, असफलता और बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।

इसी तरह “सिरहीन शरीर” या “कटा हुआ कोना” जैसी जमीन भी अशुभ फल देती है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसी भूमि से व्यक्ति को मानसिक अशांति और लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

घर के आसपास के वातावरण पर भी दें ध्यान

सिर्फ घर का आकार ही नहीं, बल्कि उसके आसपास का वातावरण भी बेहद मायने रखता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार –

घर के आसपास किसी मंदिर की छाया आपके घर पर नहीं पड़नी चाहिए। अस्पताल, श्मशान, या कारखाना जैसे स्थान घर से कम से कम 80 फीट की दूरी पर हों।

यदि घर के आसपास लगातार शोर, धुआं या गंदगी का माहौल है, तो वहां सकारात्मक ऊर्जा टिक नहीं पाती।

शुभ घर की पहचान

अगर आपका घर या प्लॉट समतल, चारों दिशाओं में समान और वर्गाकार है, तो इसे वास्तु में उत्तम माना गया है। ऐसे घरों में देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है, परिवार में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।

वास्तु का मूल सिद्धांत है “जहां ऊर्जा का प्रवाह सहज हो, वहीं सुख का वास होता है।” इसलिए अगर आप नया घर खरीदने जा रहे हैं, तो सिर्फ सुंदरता या बजट पर नहीं, बल्कि वास्तु पर भी ज़रूर ध्यान दें।

वास्तु शास्त्र केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि प्रकृति के संतुलन और ऊर्जा के विज्ञान पर आधारित है। जिस घर में वास्तु दोष होता है, वहां नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन में रुकावटें आती हैं। इसलिए घर चुनते समय वास्तु के इन नियमों को समझना और मानना आपके जीवन को खुशहाल बना सकता है।

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